सुप्रीम कोर्ट.
सुप्रीम कोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व प्रमुख ई. अबूबकर को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत उनके खिलाफ दर्ज मामले में मेडिकल आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने एम्स के निदेशक को एक टीम गठित कर अबूबकर की मेडिकल जांच करने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने एम्स से अबुबकर की मेडिकल रिपोर्ट तलब किया है. कोर्ट 2 हफ्ते बाद होगी इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं: याची
अबूबकर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2022 में PFI पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था. एजेंसी के मुताबिक, PFI, उसके सदस्यों और पदाधिकारियों ने देश भर में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने की आपराधिक साजिश रची और इस मकसद के लिए अपने कैडर को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रहे थे. अबूबकर ने हाईकोर्ट में तर्क दिया था कि UAPA के तहत उनके खिलाफ NIA के मामले का समर्थन करने के लिए कोई सामग्री नहीं है. उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया था कि वह 70 वर्ष के हैं और कैंसर से पीड़ित हैं, साथ ही पार्किंसंस रोग से जूझ रहे हैं और अपनी हिरासत के दौरान उन्हे कई बार AIIMS जाना पड़ा.
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NIA ने याचिका का विरोध किया था और कहा था कि यह दिखाने के लिए सामग्री मौजूद है कि अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कैडर को प्रशिक्षित करने के लिए शिविर आयोजित किए जा रहे थे. इसमें कहा गया था कि अबूबकर के खिलाफ कई मामले हैं और अगर उसे रिहा किया जाता है, तो कोई भी उसके खिलाफ गवाही नहीं देगा.
देश भर में मारे गए छापे
साल 2022 में संगठन और उसके सहयोगियों पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध से पहले की गई कार्रवाई के दौरान कई राज्यों में PFI के कई कथित कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया. NIA ने आतंकी गतिविधियों को कथित समर्थन देने के आरोप में 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में PFI कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. अबूबकर को 22 सितंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया. केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली और राजस्थान में छापे मारे गए. फरवरी में हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल के चिकित्सा अधीक्षक को अबूबकर की बीमारियों का नियमित और प्रभावी इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. यह निर्देश उसे जेल में रखने के बजाय घर में नजरबंद रखने की याचिका को खारिज करते हुए दिया गया था.
-भारत एक्सप्रेस