आपने देखा होगा कि शिशुओं को दुध पिलाने के बाद वह उल्टी कर देते हैं. लेकिन कई बार शिशु पेट दर्द या गैस की वजह से भी रोते हैं. वहीं अगर शिशुओं को बार-बार उल्टी हो रही है तो इसका कारण है पाइलोरस. पर क्या आप जानते हैं शिशुओं में पाइलोरिक स्टेनोसिस पाइलोरस के मोटे होने के कारण होता है जो भोजन को पेट से आंतों तक जाने से रोकता है. पाइलोरिक स्टेनोसिस एक ऐसी समस्या है जो जन्म से लेकर 6 महीने की उम्र के शिशुओ में पाया जाता है. इसमें शिशु को बहुत उल्टी होती है जिससे बच्चे को डिहाइड्रेशन हो सकता है.
क्या है पाइलोरिक स्टेनोसिस?
माना जाता है कि भोजन और पेट की अन्य सामग्री छोटी आंत में प्रवेश करने के लिए पेट के निचले हिस्से पाइलोरस से होकर गुजरता है. जब किसी बच्चे को पाइलोरिक स्टेनोसिस होता है तो पाइलोरिक भोजन को पेट से बाहर निकलने से रोकता है. पाइलोरिक स्टेनोसिस एक तरह का गैस्ट्रिक आउटलेट अवरोध है जिसका अर्थ है पेट से आंतों तक रुकावट. पाइलोरिक स्टेनोसिस 1,000 शिशुओं में से लगभग 3 को प्रभावित करता है. इसके पहले जन्मे नर शिशुओं को प्रभावित करने की अधिक संभावना होती है. यदि माता-पिता को पाइलोरिक स्टेनोसिस है तो बच्चे में इसके विकसित होने का जोखिम 20% तक होता है. जिन शिशुओं में यह होता है उनमें से अधिकांश में जन्म के 3 से 5 सप्ताह बाद लक्षण विकसित होते हैं.
पाइलोरिक स्टेनोसिस के लक्षण
शिशुओं को आमतौर पर स्टेनोसिस के क्षेत्र में पेट के क्षेत्र में दर्द महसूस होता है. यह संकुचित और तनावग्रस्त मांसपेशियों के कारण होता है.
हर समय भूख महसूस होना
पाइलोरिक स्टेनोसिस वाले शिशुओं को आमतौर पर भोजन करने के बाद और पूरे दिन भूख लगती है. ये बच्चे आमतौर पर दूध पिलाने के तुरंत बाद भोजन की मांग करते हैं.
डॉक्टर को कब दिखाएं
यदि शिशु को उल्टी और दस्त हो रहे हैं तो उसके शरीर में पानी की कमी न होने दें. अगर उल्टी का रंग भूरा है या बच्चे को दस्त नहीं है तो यह चिंता की बात है. आमतौर पर बच्चे को उल्टी 24 घंटे से ज्यादा समय तक नहीं होती है और अगर इससे ज्यादा समय तक उल्टी हो तो यह किसी बैक्टीरियल इंफेक्शन या गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. यदि बच्चे को उल्टी के बाद खांसी में खून आ रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
-भारत एक्सप्रेस
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