Cancer Treatment: जानलेवा बीमारी कैंसर को खत्म करने में भारतीय डॉक्टरों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब भारतीय थेरेपी ने कैंसर मरीजों को स्वस्थ जीवन की उम्मीद दिखाई है. कुछ महीने पहले ब्लड कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए भारत के एक अत्याधुनिक उपचार को अनुमति मिल गई है. यह एक खास तरह की थेरेपी है जो कई रोगियों के लिए जीवनरक्षक बन गई है. ये थेरेपी भारत में 15 मरीजों को दी गई है.
जिनमें से तीन ने कैंसर से मुक्ति पा ली है. कैंसर से मुक्त घोषित होने वाले पहले व्यावसायिक रोगी ने कहा की. कुछ महीने पहले भारत के दवा नियामक ‘सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन’ (CDSCO) ने सीएआर-टी-सेल (CAR-T cell therapy) के कमर्शियल इंस्तेमाल को मंजूरी दे दी है. इस थेरेपी से 15 साल के अधिक आयु के मरिज जो बी-सेल कैंसर से पीड़ित हैं, उनका इलाज किया जा सकता है.
अगले पांच सालों में कैंसर के मामलों की संख्या में 12 फीसदी की बढ़त होगी. साल 2025-26 तक भारत कैंसर के मरीजों की संख्या लगभग 15 लाख से अधिक पहुंच जाएगी. लेकिन एक ऐसी थेरेपी है जिसकी मदद से इसका इलाज किया जा सकता है उसका नाम है काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर CAR-T सेल थैरेपी. इस थेरेपी का इस्तेमाल लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और बी-सेल लिंफोमा जैसे गंभीर कैंसर के इलाज में किया जाएगा. एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एक एडवांस तकनीक है. इस तकनीक की मदद से मरीज के शरीर में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स के टी सेल्स को निकाला जाता है.
यह थेरेपी कई मरीजों के लिए एक जीवनरक्षक बन गई है, जिनमें एक मरीज भी शामिल है. डॉ. वीके गुप्ता भारतीय सेना में 28 साल से काम कर रहे हैं. उन्होने 42 लाख रुपये खर्च करके यह थेरेपी ली. जबकि विदेशों में इस थेरेपी की कीमत 4 करोड़ है.
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ये थेरेपी, NexCAR 19, ImmunoACT विकसित की है. जो IITB, IIT-B हॉस्पिटल में स्थापित कंपनी है. यह बी-सेल कैंसर जैसे ल्यूकेमिका, लिम्फोमा के इलाज पर फोकस करता है. CDSCO ने अक्टूबर 2023 को इसके कॉमर्शियल इस्तेमाल को लेकर मंजूरी दी थी. अभी यह थेरेपी भारत के 10 शहरों के 30 हॉस्पिटलों में उपलब्ध है. 15 साल से अधिक उम्र वाले मरीज इस थेरेपी के जरिए इलाज करवा सकते हैं.
CAR-T सेल थेरेपी के जरिए ब्लड कैंसर का इलाज किया जाता है. ब्लड कैंसर के अलावा इस थेरेपी के जरिए लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और बी-सेल लिंफोमा जैसे गंभीर कैंसर का इलाज किया जाता है. एंटीजन रिसेप्टर-टी सेल थेरेपी इलाज में इस्तेमाल की जाती है. इस थेरेपी की मदद से मरीज के शरीर में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स के टी-सेल्स को निकाला जाता है. इसके बाद टी सेल्स और व्हाइट ब्लड सेल्स को अलग-अलग तरह से शरीर में डाला जाता है. एक बार जब थेरेपी पूरी हो जाती है. टी सेल्स कैंसर से लड़ने का काम करती है.
-भारत एक्सप्रेस
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