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ब्रह्मयोनि पहाड़ी पर वैज्ञानिकों ने खोजी य​ह अमूल्य औषधि, मधुमेह से बचाने और मोटापा कम करने में बड़ी सहायक

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इन जड़ी-बूटी वाले पौधों को विलुप्त होने से बचाने के लिए इनके संरक्षण और खेती के लिए स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

medicinal plant

सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

शोधकर्ता लगातार एक न एक नई खोज कर इंसानों की भलाई के लिए कार्य कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है जिसमें शोधकर्ताओं की एक टीम ने बिहार के गया के ब्रह्मयोनी पहाड़ी में एक ऐसा औषधीय पौधा खोजा है, जो मधुमेह जैसी बीमारियों के इलाज में तो काम करेगा ही साथ ही मोटापे को भी कम करेगा.

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इन जड़ी-बूटी वाले पौधों को विलुप्त होने से बचाने के लिए इनके संरक्षण और खेती के लिए स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. बता दें कि शोध के परिणाम को हाल ही में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्रिएटिव रिसर्च थॉट्स में प्रकाशित किया गया है. खोजे गए पौधों में मधुमेह से लड़ने के लिए गुड़मार सबसे महत्वपूर्ण माना गया है.

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नृवंशविज्ञान संबंधी शोध शीर्षक से प्रकाशित अध्ययन में इस पौधे को लेकर बताया गया है कि गुड़मार में जिम्नेमिक एसिड की मौजूदगी से रक्त शर्करा को कम करने की अनूठी क्षमता होती है. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद पहले ही मधुमेह की दवा बीजीआर-34 विकसित करने के लिए गुड़मार का इस्तेमाल कर चुकी है. इसकी एमिल फार्मा मधुमेह रोधी आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन के तौर पर बिक्री करता है. गुड़मार के अलावा बीजीआर-34 में मधुमेहरोधी दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, मंजिष्ठा भी हैं. यह आंत की बाहरी परत में रिसेप्टर साइटों पर कब्जा कर काम करता है. इससे मीठा खाने की इच्छा कम होती है.

जानें क्या है शोध का उद्देश्य

शोधकर्ताओं ने कहा है कि परंपरागत इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली पौधों की प्रजातियों की पहचान व उनकी हर्बल दवा के तौर पर जानकारी लेकर दस्तावेज तैयार करने पर जोर दिया गया. इसी के साथ ही इस शोध का उद्देश्य बताते हुए कहा कि लोगों के चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए प्रयोग में आने वाली पारंपरिक उपचारों की विशेषज्ञता संरक्षित करना है.

शोधकर्ताओं को पहाड़ी पर मिले तीन औषधीय पौधे

गुड़मार ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर पाए जाने वाले तीन औषधीय पौधों में से एक है. शोधकर्ता कहते हैं कि यह प्राकृतिक उपचारों का खजाना है. इस पर पारंपरिक चिकित्सक सदियों से औषधीय जड़ी-बूटियों के लिए भरोसा करते रहे हैं. इसी के साथ ही दो अन्य पौधे पिथेसेलोबियम डुल्स और जिजिफस जुजुबा भी हैं, जिन पर अभी भी शोध चल रहा है.

-भारत एक्सप्रेस

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