गंगापुरी महाराज उर्फ छोटू बाबा
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में असम के कामाख्या पीठ से आए गंगापुरी महाराज उर्फ छोटू बाबा श्रद्धालुओं और साधु-संतों के बीच चर्चा का केंद्र बन गए हैं. खास बात यह है कि गंगापुरी महाराज पिछले 32 वर्षों से स्नान नहीं कर रहे हैं, जिसे वे अपनी आध्यात्मिक साधना और तपस्या का हिस्सा मानते हैं.
गंगापुरी महाराज: साधना और आध्यात्मिक यात्रा
गंगापुरी महाराज का असली नाम छोटू बाबा है. वे असम के प्रसिद्ध कामाख्या पीठ से जुड़े हैं, जो तांत्रिक और शाक्त परंपराओं का केंद्र है. बाबा का मानना है कि उनकी स्नान न करने की तपस्या उन्हें आत्मिक शुद्धि और ईश्वर की कृपा प्राप्त करने में मदद करती है.
बाबा का कहना है, “स्नान करना केवल बाहरी शुद्धि है, लेकिन मेरे लिए आत्मा की शुद्धि अधिक महत्वपूर्ण है. मेरी साधना का उद्देश्य सांसारिक माया से दूर रहकर परमात्मा की प्राप्ति करना है.”
महाकुंभ में भारी भीड़ का केंद्र
महाकुंभ मेले में गंगापुरी महाराज के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. लोग बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद ले रहे हैं और उनकी अनोखी साधना के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं. बाबा के पास बैठकर लोग उनसे उनकी साधना और उनकी जीवनशैली के बारे में सवाल करते हैं.
श्रद्धालुओं का कहना है कि गंगापुरी महाराज का यह तप और त्याग असाधारण है. बाबा का सादा जीवन, गेरुआ वस्त्र, और तपस्या के प्रति उनकी निष्ठा उन्हें मेले में अलग पहचान दिला रही है.
32 वर्षों से स्नान न करने का कारण
गंगापुरी महाराज के अनुसार, उन्होंने 32 साल पहले एक संकल्प लिया था कि वे तब तक स्नान नहीं करेंगे जब तक उनकी साधना पूरी नहीं होती. उनके इस तप में खान-पान और जीवनशैली भी काफी सख्त है.
– बाबा केवल शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं.
– वे ध्यान और योग के जरिए अपनी ऊर्जा को बनाए रखते हैं.
– वे मानते हैं कि साधना और तपस्या ही जीवन का वास्तविक उद्देश्य है.
कामाख्या पीठ से संबंध
गंगापुरी महाराज असम के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर से जुड़े हुए हैं, जो देवी शक्ति को समर्पित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है. बाबा के अनुयायी बताते हैं कि गंगापुरी महाराज का जीवन शुरू से ही आध्यात्मिकता और साधना की ओर उन्मुख रहा है.
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
मेले में बाबा के दर्शन करने आए श्रद्धालु उनके बारे में अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. एक श्रद्धालु ने कहा, “हमने ऐसे तपस्वी को पहली बार देखा है. उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चा त्याग और भक्ति कैसे की जाती है.” वहीं, कुछ लोग इसे आध्यात्मिक साधना का असाधारण रूप मानते हैं, जबकि अन्य इसे व्यक्तिगत आस्था और तपस्या की पराकाष्ठा समझते हैं.
महाकुंभ में साधु-संतों की विविधता
महाकुंभ मेले में देशभर से साधु-संत और योगी आते हैं, जो अपनी अनूठी साधना और तपस्या के लिए प्रसिद्ध हैं. लेकिन गंगापुरी महाराज की यह अनोखी साधना मेले में एक अलग ही आकर्षण पैदा कर रही है.
गंगापुरी महाराज का संदेश
बाबा का कहना है कि साधना और भक्ति के बिना जीवन अधूरा है. वे युवाओं को संदेश देते हैं कि आत्मिक उन्नति के लिए त्याग और तपस्या बेहद आवश्यक है. प्रयागराज के महाकुंभ में गंगापुरी महाराज जैसे संतों की उपस्थिति इस मेले को और भी खास बना रही है. श्रद्धालुओं के लिए यह एक अनूठा अनुभव है, जहां वे भक्ति और तपस्या के विभिन्न रूपों को करीब से देख पा रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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