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महाकुंभ के तीसरे अमृत स्नान पर नजर आया सनातन का संगम, बम बम भोले बोलकर झूमते नजर आए विदेशी नागरिक

एकता के महाकुंभ में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने बिना भेदभाव, हर जाति और संप्रदाय के साथ गंगा में अमृत स्नान, पूजन और दर्शन किया. सनातन संस्कृति की महिमा का प्रदर्शन करते हुए अमेरिकी, इजरायली, फ्रांसीसी सहित विभिन्न देशों के नागरिक भी उत्साह से भाग लिए.

Mahakumbh 2025

महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान

महाकुंभनगर: बसंत पंचमी पर महाकुंभ में भारत के हर राज्य और हर जाति लोगों ने एक साथ संगम में अमृत स्नान किया. इसके साथ दुनिया भर के कई देशों के श्रद्धालु भी पहुंचे और जय श्री राम, हर हर गंगे, बम बम भोले के उद्घोष के साथ भारतीय जनमानस के साथ घुल मिल गए. अमृत स्नान पर महाकुंभ नगर में एकता का महाकुंभ नजर आया. यहां भारत की सनातन संस्कृति से अभिभूत विदेशी नागरिकों ने परिवार के साथ पहुंचकर गंगा स्नान किया. जय श्री राम, हर हर गंगे का नारा लगाकर लोग उत्साह से लबरेज नजर आए.

आस्था का संगम

महाकुंभ के इस ऐतिहासिक मौके पर संगम का तट भारतीय और विदेशी श्रद्धालुओं से पूरी तरह से भर गया. आस्था का ऐसा संगम हुआ कि संगम की रेत तक नजर नहीं आ रही थी. हर जगह सिर्फ मुंड ही मुंड नजर आ रहे थे. दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, केरल, आंध्र प्रदेश समेत हर राज्य, हर जाति के लोग और अन्य देशों से आए विदेशी नागरिकों ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया. अमेरिकी, इजरायली, फ्रांसीसी समेत कई अन्य देशों के नागरिक गंगा स्नान करते हुए भारत की सनातन संस्कृति से अभिभूत हुए. वे भी बम बम भोले के नारे लगाते हुए उत्साह से झूमते नजर आए.

Mahakumbh 2025

महाकुंभ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी भारत की ब्रांडिग

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दिव्य और भव्य महाकुंभ का अलौकिक आयोजन किया गया है. भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक शक्ति महाकुंभ के इस बार के अद्भुत आयोजन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी ज्यादा बढ़ा दी है. महाकुंभ में दुनिया भर के कई देशों के नागरिकों ने भाग लिया और भारत की संस्कृति को अनुभव किया. विदेशी श्रद्धालु भारत की सनातन संस्कृति से गहरे प्रभावित हुए और परिवार के साथ गंगा में स्नान किया. संगम के तट पर जय श्री राम और हर हर गंगे के उद्घोष से माहौल बना और श्रद्धालु श्रद्धा से गंगा में डुबकी लगाते रहे.

हर वर्ग, संप्रदाय के लिए समानता का भाव

प्रयागराज का महाकुंभ विश्व का सबसे बड़ा मानवीय और आध्यात्मिक सम्मेलन है. यूनेस्को ने महाकुंभ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है. सीएम योगी का मानना है कि महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक विविधता में समायी हुई एकता और समता के मूल्यों का सबसे बड़ा प्रतीक है. यहां सब एक समान हैं. करोड़ों लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा रहे हैं. श्रद्धालु, समस्त साधु, संन्यासियों का आशीर्वाद ले रहे हैं, मंदिरों में दर्शन कर अन्नक्षेत्र में एक ही पंगत में बैठ कर भण्डारों में खाना खा रहे हैं.

महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक विविधता में समायी हुई एकता और समता के मूल्यों का सबसे बड़ा प्रदर्शन स्थल है, जिसे दुनिया भर से आये पर्यटक देखकर आश्चर्यचकित हैं. कैसे अलग-अलग भाषायी, रहन-सहन, रीति-रिवाज को मानने वाले एकता के सूत्र में बंधे संगम में स्नान करने चले आते हैं. साधु-संन्यासियों के अखाड़े हों या तीर्थराज के मंदिर और घाट, बिना रोक टोक श्रद्धालु दर्शन,पूजन करने जा रहे हैं. संगम क्षेत्र में चल रहे अनेक अन्न भण्डार सभी भक्तों, श्रद्धालुओं के लिए दिनरात खुले हैं जहां सभी लोग एक साथ पंगत में बैठ कर भोजन ग्रहण कर रहे हैं. महाकुंभ मेले में भारत कि विविधता इस तरह समरस हो जाती है कि उनमें किसी तरह का भेद कर पाना संभव नहीं है.

Mahakumbh 2025

अनवरत जारी है सनातन संस्कृति की परंपरा

महाकुंभ में सनातन परंपरा को मनाने वाले शैव, शाक्त, वैष्णव, उदासीन, नाथ, कबीरपंथी, रैदासी से लेकर भारशिव, अघोरी, कपालिक सभी पंथ और संप्रदायों के साधु,संत एक साथ मिलकर अपने-अपने रीति-रिवाजों से पूजन-अर्चन और गंगा स्नान कर रहे हैं. संगम तट पर लाखों की संख्या में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु देश के कोने-कोने से आए हैं. अलग-अलग जाति, वर्ग, भाषा को बोलने वाले साथ मिलकर महाकुंभ की परंपराओं का पालन कर रहे हैं. महाकुंभ में अमीर, गरीब, व्यापारी, अधिकारी सभी तरह के भेदभाव भुलाकर एक साथ एक भाव में संगम में डुबकी लगा रहे हैं.

महाकुंभ और मां गंगा, नर, नारी, किन्नर, शहरी, ग्रामीण, गुजराती, राजस्थानी, कश्मीरी, मलयाली किसी में भेद नहीं करती. अनादि काल से सनातन संस्कृति की समता,एकता कि ये परंपरा प्रयागराज में संगम तट पर महाकुंभ में अनवरत चलती आ रही है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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