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Aaj Ka Panchang 04 May 2025: 04 मई 2025 को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है. इस दिन पुष्य नक्षत्र और गांदा योग का संयोग रहेगा. रविवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:45 से दोपहर 12:36 तक रहेगा, जबकि राहुकाल शाम 17:00 से 18:37 तक होगा. चंद्रमा कर्क राशि में संचरण करेंगे. हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग भी कहते हैं, समय और काल की सटीक गणना करता है. यह पांच अंगों—तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण—पर आधारित है. आइए जानते हैं आज के पंचांग का विस्तृत विवरण.
तिथि | सप्तमी | 07:20 तक |
नक्षत्र | पुष्य | 12:55 तक |
प्रथम करण | वणिजा | 07:20 तक |
द्वितीय करण | विष्टि | 19:27 तक |
पक्ष | शुक्ल | |
वार | रविवार | |
योग | गांदा | 24:41 तक |
सूर्योदय | 05:44 | |
सूर्यास्त | 18:37 | |
चंद्रमा | कर्क | |
राहुकाल | 17:00 − 18:37 | |
विक्रमी संवत् | 2082 | |
शक संवत | 1947 | विश्वावसु |
मास | वैशाख | |
शुभ मुहूर्त | अभिजीत | 11:45 − 12:36 |
पंचांग के पांच अंग
तिथि
चंद्र रेखांक के सूर्य रेखांक से 12 अंश आगे जाने का समय तिथि कहलाता है. एक माह में 30 तिथियां होती हैं, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बंटी हैं. शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है.
तिथियों के नाम: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा/अमावस्या.
नक्षत्र: आकाश मंडल में तारा समूह को नक्षत्र कहते हैं. कुल 27 नक्षत्र हैं, जिनका स्वामित्व नौ ग्रहों के पास है. नक्षत्रों के नाम: अश्विन, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती.
वार: सप्ताह के सात दिन ग्रहों के नाम पर हैं—सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार.
योग: सूर्य-चंद्र की विशेष दूरी से बनने वाले 27 योग हैं. नाम: विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र, वैधृति.
करण: एक तिथि में दो करण होते हैं—पूर्वार्ध और उत्तरार्ध में. कुल 11 करण हैं: बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग, किस्तुघ्न. विष्टि करण को भद्रा कहते हैं, जिसमें शुभ कार्य वर्जित हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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