
Aaj Ka Panchang 07 May 2025: 07 मई 2025 को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि होगी. इस दिन पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र और व्याघात योग रहेगा. शुभ मुहूर्त की बात करें तो इस बुधवार को अभिजीत मुहूर्त नहीं होगा. राहुकाल दोपहर 12:10 से 13:47 तक रहेगा. चंद्रमा सिंह राशि में संचरण करेंगे.
हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग भी कहते हैं, समय और काल की सटीक गणना का माध्यम है. यह पांच अंगों – तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण – से मिलकर बनता है. यहां दैनिक पंचांग में हम आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय-सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य-चंद्र की स्थिति, हिंदू मास और पक्ष आदि की जानकारी दे रहे हैं.
07 मई 2025 को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि सुबह 10:21 तक रहेगी. इस दिन पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र शाम 18:15 तक और व्याघात योग रात 25:01 तक प्रभावी होगा. प्रथम करण गारा सुबह 10:21 तक और द्वितीय करण वणिजा रात 23:24 तक रहेगा. यह दिन बुधवार है, और चंद्रमा सिंह राशि में संचरण करेंगे. सूर्योदय सुबह 05:42 बजे और सूर्यास्त शाम 18:38 बजे होगा. राहुकाल दोपहर 12:10 से 13:47 तक रहेगा, इस दौरान शुभ कार्य वर्जित हैं. विक्रमी संवत् 2082 और शक संवत् 1947 (विश्वावसु) है. इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं होगा.
पंचांग के पांच अंग:
तिथि:
हिंदू काल गणना में चंद्र रेखांक के सूर्य रेखांक से 12 अंश आगे जाने का समय तिथि कहलाता है. एक माह में 30 तिथियां होती हैं, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बंटी होती हैं. शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है.
तिथियों के नाम: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा/अमावस्या.
नक्षत्र:
आकाश मंडल में तारा समूह को नक्षत्र कहते हैं. कुल 27 नक्षत्र हैं, जिनका स्वामित्व नौ ग्रहों को मिला है.
नक्षत्रों के नाम: अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्व फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती.
वार:
वार का अर्थ दिन है. सप्ताह में सात वार होते हैं, जो ग्रहों के नाम पर हैं – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार.
योग:
सूर्य-चंद्र की विशेष दूरी की स्थितियों को योग कहते हैं. कुल 27 योग हैं.
योगों के नाम: विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यतीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र, वैधृति.
करण:
एक तिथि में दो करण होते हैं – पूर्वार्ध और उत्तरार्ध में. कुल 11 करण हैं.
करणों के नाम: बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग, किस्तुघ्न.
विष्टि करण को भद्रा कहते हैं, जिसमें शुभ कार्य वर्जित हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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