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होलिका दहन पर आज भूलकर भी ना करें ये 5 गलतियां, रुक जाएगी जॉब-बिजनेस में तरक्की

Holika Dahan 2024 Dos and Donts: होलिका दहन के दिन कुछ कार्यों की मनाही है. मान्यता है कि ऐसा करने दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है.

Holika Dahan 2024 Dos and Donts

होलिका दहन.

Holika Dahan 2024: फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है. पंचांग के मुताबिक, आज (24 मार्च)  होलिका दहन मनाया जाएगा. इसी दिन छोटी होली भी मनाई जाएगी. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के मुताबित जानते हैं कि होलिका दहन के दिन किन गलतियों को करने से बचना चाहिए.

ये ना जलाएं होलिका की अग्नि

ज्योतिष शास्त्र के जानकार पं. मणिभूषण झा ने बताया कि जिस लोगों के पास सिर्फ एक पुत्र है, उन्हें होलिका दहन की अग्नि को प्रज्जवलित करने से बचना चाहिए. जिनके पास एक बेटा और एक बेटी है, वो ऐसा कर सकते हैं.

सफेद चीजों का सेवन करने से करें परहेज

होलिका दहन (Holika Dahan) के दिन सफेद चीजों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए. होलिका दहन के दिन सफेद चीजों की नकारात्मक शक्तियां जल्द आकर्षित हो जाती हैं. ऐसे में इस दिन दूध, दही, सफेद मिठाई, खीर इत्यादि का सेवन करने से बचना चाहिए.

होलिका में भूलकर भी ना डालें इन पेड़ों की टहनियां

होलिका दहन के दिन अग्नि में कुछ पेड़ की लकड़ियों को भूलकर भी नहीं डालना चाहिए. इस दिन होलिका की आग में आम, बरगद, पीपल इत्यादि की टहनियों को नहीं डालना चाहिए.

किसी से भी ना लें कर्ज

होलिका दहन के दिन किसी को भी रुपया-पैसा उधार नहीं लेना चाहिए. कहा जाता है कि इस दिन रुपये-पैसों के लेनदने से कंगाली आती है. साथ ही घर में सुख और संपन्नता का अभाव होने लगता है.

माता-पिता का अपमान

होलिका दहन के दिन भूलकर भी माता-पिता का अपमान अपमान नहीं करना चाहिए. ऐसा करने पितृ दोष लगता है और अशुभ परिणाम मिलते हैं. नौकरी-व्यापार में तरक्की रुक जाती है. मान्यता है कि होलिका दहन के दिन माता-पिता का अपमान करने से दरिद्रता आती है.

होलिका दहन पर क्या करें?

होलिका दहन के दिन होलिका की कम से कम 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए. इस दौरान अग्नि में उपले, इलाइची, लौंग, अनाज इत्यादि डालना शुभ माना गया है. पौराणिक मान्यता है कि होलिका दहन के बाद परिवार के लोग एकसाथ अगर चंद्रमा के दर्शन करें तो अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन चंद्रमा देव अपने पिता बुध देव की राशि में रहते हैं. जबकि, सूर्य देव की उपस्थिति गुरु बृहस्पति की राशि में विराजमान रहते हैं.

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