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Shani Dev Ki Katha: शनि देव की कथा से मिलती हैं ये 5 अनूठी जीवन शिक्षाएं, जो बदल सकती हैं आपकी सोच

Shani Dev Ki Katha: कर्मफलदाता शनि देव कर्तव्यपालन और निष्पक्षता की मिसाल हैं. लेकिन उनके जीवन में कई ऐसी घटनाएं घटीं, जिससे उनका पारिवारिक जीवन प्रभावित हुआ ऐसे में हम शनि की कथा से 5 अनूठी बातें सीख सकते हैं.

Shani Dev Ki Katha

Shani Dev Ki Katha: शनि देव की कहानी केवल धर्म और आस्था की बात नहीं है, बल्कि यह हमें जिंदगी की कई अहम सीख भी देती है. उनके जन्म से लेकर न्यायाधीश बनने तक की पूरी यात्रा संघर्ष और सीख से भरी है. आइए जानते हैं शनि देव की कथा से मिलने वाली 5 महत्वपूर्ण बातें, जो हमारे जीवन में भी उपयोगी साबित हो सकती हैं.

1. गुस्से पर नियंत्रण रखना जरूरी

क्रोध को इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन कहा गया है. गुस्से में लिया गया निर्णय अक्सर नुकसानदायक होता है. शनि देव के जीवन में भी यही हुआ. जब उनके पिता सूर्य देव ने मां छाया का अपमान किया, तो शनि ने क्रोध में आकर सूर्य से अपने संबंध बिगाड़ लिए. इससे यह सीख मिलती है कि गुस्से में रिश्ते टूट सकते हैं, इसलिए संयम रखना जरूरी है.

2. संदेह से रिश्ते खराब होते हैं

रिश्तों में पारदर्शिता बहुत जरूरी होती है. अगर बातों को छुपाया जाए तो संदेह जन्म लेता है. शनि की मां संज्ञा तप करने गईं और अपनी छाया को सूर्य देव के पास छोड़ गईं, लेकिन उन्होंने यह बात सूर्य को नहीं बताई. बाद में जब शनि का जन्म हुआ और उनका रंग काला था, तो सूर्य ने संदेह किया. इसी कारण पिता-पुत्र का रिश्ता कभी सामान्य नहीं हो पाया.

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3. क्षमा करना है श्रेष्ठता की पहचान

क्षमा करना हर किसी के बस की बात नहीं होती, लेकिन यही बड़प्पन की निशानी है. यदि सूर्य देव अपने पुत्र शनि को क्षमा कर देते, तो परिवार में क्लेश नहीं होता. शनि ने मां के सम्मान के लिए प्रतिक्रिया दी थी, लेकिन अगर सूर्य उन्हें समझते और माफ कर देते, तो रिश्तों में मिठास बनी रहती.

4. मां के लिए प्रेम और सम्मान

शनि देव अपनी मां छाया से बहुत प्रेम करते थे. वे हमेशा मां की बात मानते और उनका सम्मान करते थे. जब सूर्य देव ने उनकी मां को अपमानित किया, तो शनि ने इसका विरोध किया. वे इतने आहत हुए कि अपने ही पिता को ग्रहण लगा दिया. हालांकि मां के कहने पर उन्होंने क्षमा मांग ली. इस प्रसंग से यह सीख मिलती है कि मां के सम्मान में कभी समझौता नहीं होना चाहिए.

5. कर्तव्य के प्रति निष्ठा और निष्पक्षता

शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है. वे कर्म के अनुसार फल देते हैं. उन्होंने कभी अपने और पराए का भेद नहीं किया. जब इंद्र ने उनकी परीक्षा लेने के लिए एक योजना बनाई और उसमें उनकी मां छाया घायल हुईं, तो पहले शनि ने मां को बचाया. लेकिन जब असली दोषी की बात आई, तो उन्होंने निष्पक्ष होकर इंद्र को दोषी ठहराया और उन्हें दंड दिया. इससे यह सीख मिलती है कि न्याय करते समय पक्षपात नहीं होना चाहिए.

-भारत एक्सप्रेस



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