शनि देव.
Shani Jayanti 2024 Shani Shani Sade Sati Upay: ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है. इस साल शनि जयंती 06 जून को पड़ने वाली है. ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता कहा गया है. ज्योतिष शास्त्र के जानकारों की मानें तो शनि की साढ़ेसाती अलग-अलग राशियों भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है. शनि के बुरे प्रभाव से जहां व्यक्ति को तमाम प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है, वहीं शनि का अच्छा प्रभाव इंसान को खुशहाल बना देता है.
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, शनि देव इस वक्त कुंभ राशि में विराजमान हैं. शनि महाराज जब कभी किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो उससे एक राशि आगे और पीछे शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाती है. इस वक्त मकर और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है.
कब से कब तक रहेगी शनि की साढ़ेसाती?
- मेष राशि- 29 मार्च 2025 से 31 मई 2032 तक
- वृष राशि- 3 जून 2027 से 13 जुलाई 2034 तक
- मिथुन राशि- 8 अगस्त 2029 से 27 अगस्त 2036 तक
- कर्क राशि- 31 मई 2032 से 22 अक्टूबर 2038 तक
- सिंह राशि- 13 जुलाई 2034 से 29 जनवरी 2041 तक
- कन्या राशि- 27 अगस्त 2036 से 12 दिसंबर 2043 तक
- तुला राशि- 22 अक्टूबर 2038 से 8 दिसंबर 2046 तक
- वृश्चिक राशि- 28 जनवरी 2041 से 3 दिसंबर 2049 तक
- धनु राशि- 12 दिसंबर 2043 से 3 दिसंबर 2049 तक
- मकर राशि- 26 जनवरी 2017 से 29 मार्च 2025 तक
- कुंभ राशि- 24 जनवरी 2020 से 3 जून 2027 तक
- मीन राशि- 29 अप्रैल 2022 से 8 अगस्त 2029 तक
शनि साढ़ेसाती के आसान उपाय
शनि जयंती के दिन व्रत रखें और जरुरतमंदों के बीच अन्न या वस्त्र का दान करें. इसके अलावा शनिवार के दिन हनुमान जी के दर्शन करें. मान्यता है कि शनि जयंती के दिन ऐसा करने से शनि महाराज प्रसन्न होते हैं.
कहते हैं कि हनुमान जी की कृपा से शनि महाराज अधिक परेशान नहीं करते. ऐसे में प्रत्येक शनिवार को पीपल के नीचे तेल का दीया जलाएं. ऐसा करने से शनि-साढ़ेसाती का का असर धीरे-धीरे कम होता है.
शनि जयंती के दिन सुबह नहाने के बाद किसी शनि मंदिर में जाकर उनकी पूजा करनी चाहिए. शनि महाराज की मूर्ति पर सरसों का तेल अर्पित करना चाहिए. इसके बाद शनि-प्रतिमा को जल से स्नान कराकर नीले फूल, चंदन लगाकर उनकी पूजा करनी चाहिए.
शनि जयंती पर शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए. इसके अलावा शनि देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए और गरीबों के बीच अन्न का दान करना चाहिए. शनि जयंती पर इस विधि से पूजन और उपाय करने से साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है.
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