
Holi 2025: होली का पावन पर्व फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि फाल्गुन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन संपन्न होता है. इस वर्ष होली के दिन ही साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने वाला है. ध्यान देने वाली बात यह है कि चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर ही घटित होता है. इस बार चंद्र ग्रहण होली की सुबह में ही पड़ेगा, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि लोग रंगों और गुलाल से होली कैसे मनाएंगे, क्योंकि ग्रहण के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है. ऐसे में उज्जैन स्थित महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि इस ग्रहण का होली पर क्या प्रभाव पड़ेगा और इस बार होली किस दिन मनाई जाएगी.
होली 2025 की तिथि और समय
रंगों का यह उल्लासपूर्ण त्योहार इस वर्ष 14 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को प्रातः 10:35 बजे से प्रारंभ होकर 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे तक रहेगी. इसी कारण 13 मार्च की रात को होलिका दहन किया जाएगा और 14 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी. हालांकि, इस बार होलिका दहन के समय भद्रा का प्रभाव रहेगा, जो एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय पहलू है.
2025 का पहला चंद्र ग्रहण कब लगेगा?
इस वर्ष का प्रथम चंद्र ग्रहण 14 मार्च को पड़ेगा. यह ग्रहण सुबह 09:29 बजे प्रारंभ होकर दोपहर 03:29 बजे समाप्त होगा. ग्रहण का सूतक काल नौ घंटे पूर्व से ही आरंभ हो जाएगा, जिसमें कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है.
गौर करने वाली बात यह है कि यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. इस कारण न तो इसका कोई अशुभ प्रभाव पड़ेगा और न ही सूतक काल मान्य होगा. अतः भारतवासी पूर्ण उत्साह और उमंग के साथ 14 मार्च को होली मना सकते हैं और रंगों व गुलाल के इस पर्व का भरपूर आनंद उठा सकते हैं.
फाल्गुन पूर्णिमा का स्नान और दान
14 मार्च को होली के दिन फाल्गुन पूर्णिमा का स्नान और दान अत्यंत पुण्यदायी रहेगा. जो श्रद्धालु व्रत रखेंगे, वे 13 मार्च को चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित करेंगे और अगले दिन प्रातः स्नान एवं दान का संकल्प लेंगे. पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा-अर्चना एवं कथा का श्रवण विशेष रूप से शुभ माना जाता है. इसके अतिरिक्त, इस दिन पितरों के लिए तर्पण एवं दान भी किए जा सकते हैं.
इस वर्ष होली का पर्व न केवल रंगों की मस्ती का प्रतीक होगा, बल्कि पुण्य प्राप्ति का उत्तम अवसर भी प्रदान करेगा. यह समय अपनों के बीच के मतभेद भुलाकर प्रेमपूर्वक रंग-गुलाल खेलने और खुशियां बांटने का है. साथ ही, स्नान और दान कर अपने पितरों को प्रसन्न करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
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-भारत एक्सप्रेस
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