फोटो-सोशल मीडिया
Anju Jain: भारत में क्रिकेट का खेल काफी लोकप्रिय है. यहां कि महिला क्रिकेटर्स ने भी न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी अपने खेल से अलग पहचान बनाई है. उनमें से ही एक हैं अंजू जैन, जिनका आज यानी 11 अगस्त को बर्थडे होता है. उनका नाम भारत की महिला टीम की दिग्गज पूर्व विकेटकीपर के रूप में लिया जाता है. 11 अगस्त को 1974 में उनका जन्म हुआ था और वह भारतीय महिला टीम की सबसे भरोसेमंद विकेटकीपर में से एक रहीं. सबसे खास बात ये है कि उनके पिता भी विकेटकीपिंग करते थे. हालांकि अंजू की पहली पसंद बल्लेबाजी थी लेकिन जब उनका चयन हुआ तब उन्हें विकेटकीपर से तौर पर ही चुना गया.
क्रिकेट खेलने के लिए परिवार ने रखी ये शर्त
क्रिकेट खेलने के लिए अंजू के परिवार ने उनका खूब सहयोग किया और हर जगह उनकी मदद की. उनके पिता हमेशा उनके साथ खड़े रहे और उनको विकेटकीपिंग की बारीकियों से अवगत कराया लेकिन परिवार ने पढ़ाई पूरी करने के लिए उनके सामने शर्त भी रखी और कहा है कि अगर वह बिना फेल हुए परीक्षा पास करती हैं तो क्रिकेट खेल सकती हैं. इसी के साथ ही परिवार ने ये भी कहा कि अगर वह पढ़ाई में कहीं भी फेल होती हैं तो उनका क्रिकेट खेलना रोक दिया जाएगा. इसलिए अंजू ने क्रिकेट खेलते हुए, बिना फेल हुए अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी.
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अर्जुन अवार्ड से हुईं सम्मानित
अंजू ने साल 2005 में भारत के लिए आखिरी बार खेला था और फिर क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. इसी साल उनको अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया. बता दें कि वह भारतीय टीम की चयन समिति की चेयरपर्सन भी रहीं. अंजू ने क्रिकेट कोचिंग में भी अच्छा करियर बनाया है और वह बांग्लादेश क्रिकेट टीम को कोचिंग दे चुकी हैं. इसके अलावा उन्होंने महिला प्रीमियर लीग में भी बतौर कोच अपना योगदान दिया.
इस तरह बदल गई जिंदगी
दरअसल अंजू एक इंट्रवर्ट इंसान थीं और यही वजह थी कि वह बहुत ही कम लोगों से बात करती थीं. वह खुद में ही मगन रहती थीं और लोगों से बात करने से बचती थीं लेकिन क्रिकेट ने उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव किया और क्रिकेट ने उनके जीवन में अनुशासन भी ला दिया. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि क्रिकेट ने उनको एक्सट्रोवर्ट और बेहतर इंसान बनना सिखाया. उनको इस खेल ने जिंदगी भर साथ चलने वाले दोस्त दिए.
उस समय दिल्ली की जूनियर टीम में नहीं था कोई विकेटकीपर
अंजू क्रिकेट की दुनिया में अपना एक अलग नाम बनाना चाहती थीं. इसलिए एक बल्लेबाज बनना चाहती थीं लेकिन किस्मत ने उनको वीकेटकीपर बना दिया. दरअसल तब दिल्ली की जूनियर टीम में कोई विकेटकीपर नहीं था. इस वजह से अंजू ने विकेटकीपिंग शुरू की. वह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विकेटकीपर सैयद किरमानी और किरन मोरे को अपना आदर्श मानती थीं.
-भारत एक्सप्रेस
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