चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का बिगुल बजने में अभी भी डेढ़ महीने का समय है, लेकिन विवाद ने अभी से दस्तक दे दी है. 26 फरवरी को लाहौर में इंग्लैंड और अफगानिस्तान के बीच होने वाले मुकाबले को लेकर बवाल मच गया है. इंग्लैंड और अफगानिस्तान के बीच यह मैच राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों के घेरे में आ गया है. इंग्लैंड के सांसदों ने तालिबान के शासन में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) से इस मैच का बहिष्कार करने की मांग की है. हालांकि, ECB ने इस मांग को खारिज कर दिया है.
इंग्लैंड के 160 से ज्यादा सांसदों ने ECB को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की गई. लेबर सांसद टोनिया एंटोनियाजी की तरफ से यह पत्र भेजा गया. इसमें खिलाड़ियों और अधिकारियों से मैच का बॉयकॉट करने की गुजारिश की गई थी.
पत्र में क्या लिखा?
पत्र में तालिबानी शासन के दौरान महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर गहरी चिंता जताई गई. इसमें कहा गया, “हम इंग्लैंड की पुरुष क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों और अधिकारियों से अपील करते हैं कि वे अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के तहत महिलाओं और लड़कियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं. साथ ही, हम ECB से अनुरोध करते हैं कि इस मामले पर कदम उठाते हुए अफगानिस्तान के खिलाफ होने वाले मैच का बहिष्कार करने पर विचार करें.”
पत्र में आगे लिखा गया, “ऐसा करने से यह साफ संदेश जाएगा कि इस तरह के क्रूर अत्याचार स्वीकार नहीं किए जाएंगे. हमें इस लैंगिक भेदभाव के खिलाफ खड़ा होना होगा. हम ECB से अपील करते हैं कि वे अफगान महिलाओं और लड़कियों को यह विश्वास दिलाएं कि उनकी पीड़ा को नजरअंदाज नहीं किया गया है और उनकी मदद के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.”
इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड का जवाब
इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) के मुख्य कार्यकारी रिचर्ड गूल्ड ने ब्रिटिश नेताओं की उस मांग को ठुकरा दिया है, जिसमें कहा गया था कि जोस बटलर की टीम अगले महीने होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में अफगानिस्तान के खिलाफ मैच का बहिष्कार करे. ईसीबी ने कहा कि वे अफगानिस्तान के साथ द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलते हैं, लेकिन बड़े टूर्नामेंटों में खेलने का फैसला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) द्वारा लिया जाता है.
हालांकि, ECB प्रमुख ने अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के तहत महिलाओं और लड़कियों के साथ हो रहे अन्याय की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि ICC के नियम सभी सदस्य देशों को महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध करते हैं. इसी वजह से ECB ने अफगानिस्तान के साथ द्विपक्षीय मैच न खेलने का फैसला बरकरार रखा है.
गूल्ड ने कहा कि ICC में अभी इस मुद्दे पर सभी सदस्यों की सहमति नहीं बनी है, लेकिन ECB चाहता है कि सभी देश मिलकर एक साथ कदम उठाएं क्योंकि यह ज्यादा असरदार होगा.
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि क्रिकेट अफगान लोगों, खासकर वहां से विस्थापित लोगों के लिए उम्मीद और खुशी का जरिया है, और इसका बहिष्कार तालिबान के दमनकारी प्रयासों को अनजाने में बढ़ावा दे सकता है. ECB अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के समर्थन के साथ-साथ अफगान लोगों के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए वे यूके सरकार, ICC और अन्य क्रिकेट बोर्ड्स के साथ मिलकर बातचीत जारी रखेंगे.
इंग्लैंड-अफगानिस्तान का पिछला मुकाबला
इंग्लैंड और अफगानिस्तान को ग्रुप बी में रखा गया है. दोनों टीमें 26 फरवरी को लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में आमने-सामने होंगी. पिछली बार भी दोनों का सामना एक ICC टूर्नामेंट में हुआ था, जहां अफगानिस्तान ने इंग्लैंड को ODI वर्ल्ड कप 2023 में 69 रनों से हराया था. अब तक दोनों टीमों के बीच तीन वनडे और तीन टी20 मैच खेले जा चुके हैं.
आखिरी बार इंग्लैंड ने किसी ICC टूर्नामेंट मैच का बहिष्कार 2003 वर्ल्ड कप में किया था. तब नासिर हुसैन की अगुवाई वाली टीम ने जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच नहीं खेला था. उस बहिष्कार के कारण मिले पेनल्टी पॉइंट्स ने टूर्नामेंट में इंग्लैंड को नुकसान पहुंचाया था और टीम सुपर सिक्स स्टेज में जगह बनाने से चूक गई.
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-भारत एक्सप्रेस
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