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वनडे क्रिकेट के फ्यूचर पर उठ रहे सवालों के बीच Sachin Tendulkar ने दिया नया ‘आइडिया’, क्या विचार करेगा ICC?

Sachin Tendulkar on ODI format: वनडे फॉर्मेट. एक यमय था जब क्रिकेट की दुनिया के लिए यह शब्द बेहद खास था. ऐसा नहीं है कि अब यह शब्द अब खास नहीं है, मगर कहीं न कहीं तेजी से बदल रहे क्रिकेट जगत में वनडे फॉर्मेट कहीं खो गया है. इस साल भारत में वनडे वर्ल्ड कप खेला जाना है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह इस फॉर्मेट का अंतिम वर्ल्ड कप भी साबित हो सकता है. अब सवाल यह है कि आखिर इस फॉर्मेट को कैसे बचाया जाए. बीते कुछ महीनों से इस बात की खूब चर्चा हुई है लेकिन इसका अब तक कुछ निष्कर्ष नहीं निकला.

इस बीच इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2023 में आए सचिन तेंदुलकर ने वनडे क्रिकेट के फ्यूचर पर बात की और एक ऐसा आइडिया शेयर किया जो वनडे फॉर्मेट की  डूबती नैया को पार लगा सकता है. दरअसल, टी20 क्रिकेट के तेजी से बढ़ रहे क्रेज और दुनिया भर में फ्रैंचाइजी लीगों के उभरने और अपने देश के लिए खेलने के बजाय इन टूर्नामेंट को प्राथमिकता देने वाले खिलाड़ियों ने वनडे क्रिकेट के भविष्य को खतरे में डाल दिया है.

क्या है सचिन का आइडिया?

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2023 में अपनी बात रखते हुए वनडे क्रिकेट के भविष्य पर सचिन ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब ODI क्रिकेट को 25-25 ओवर के चार भागों में बांट देना चाहिए यानी इसे एक मिनी टेस्ट मैच के रूप में ले आना चाहिए. जहां विकेट 20 की बजाय 10 ही होंगे. सचिन तेंदुलकर ने सेशन ‘Sachinism and the idea of India’में विस्तार से इस आइडिया को समझाया.

ये भी पढ़ें: Suryakumar Yadav: क्यों है T-20 के नंबर-1 बल्लेबाज का वनडे में बुरा हाल ?

सचिन ने कहा, इस फॉर्मेट का अब क्रेज नहीं रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं है. लंबे समय से 50-50 ओवर के इस फॉर्मेट में अब बदलाव की जरूरत है. क्योंकि फैंस को अब ये मैच बोरिंग लग रहे हैं. उन्होंने कहा अब इसमें अब ट्विस्ट देने की जरूरत है.

रिवर्स स्विंग आज दो नई गेंदों के कारण गायब है. मुझे लगता है कि वर्तमान प्रारूप, गेंदबाजों पर भारी है. अभी खेल बहुत अधिक अनुमानित होता जा रहा है. 15वें से 40वें ओवर तक, यह अपनी गति खो रहा है. भारतीय क्रिकेट के दिग्गज ने कहा कि यह बदलाव इस फॉर्मेट के लिए अच्छा साबित हो सकता है. उम्मीद है कि विश्व कप के 2023 संस्करण की मेजबानी भारत के साथ दर्शकों की रुचि को प्रारूप में वापस लाने के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है.

Amit Kumar Jha

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