Yashpal Sharma (Photo- IANS)
यशपाल शर्मा, 1980 के दशक के शुरुआती वर्षों में भारत की मध्यक्रम बल्लेबाजी के अहम खिलाड़ी थे. ठोस डिफेंस तकनीक के चलते वह गेंदबाजों को आसानी से अपना विकेट नहीं देते थे. हालांकि, यशपाल शर्मा की अपनी तकनीकी सीमाएं थीं, लेकिन उनकी हिम्मत, एकाग्रता, दृढ़ता और धैर्य ने इन कमियों को पीछे छोड़ दिया था. इन सब चीजों के चलते वह, 1979 से 1983 तक भारतीय मध्यक्रम की रीढ़ बने रहे.
यशपाल शर्मा का टेस्ट डेब्यू इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स, 2 अगस्त, 1979 में हुआ था. उनका वनडे डेब्यू पाकिस्तान के खिलाफ जिन्ना स्टेडियम, 13 अक्टूबर, 1978 में हुआ था.
यशपाल 1983 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे और उन्होंने भारत की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले मैच में, उन्होंने 89 रनों की पारी खेली और ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ चुने गए. भारत ने इस मैच में 34 रनों से जीत हासिल की थी. सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ, उन्होंने फिर से 61 रनों की पारी खेली और भारत को 6 विकेट से जीत दिलाई.
एक दिलचस्प बात यह है कि उन्हें अपने विश्व कप के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन का वीडियो कभी भी नहीं मिला, और इसका उन्हें काफी अफसोस भी रहा. 1983 विश्व कप के बाद उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर ढलान पर था। 1987/88 में, वे पंजाब से हरियाणा चले गए और फिर रेलवे के लिए भी खेले. संन्यास के बाद, यशपाल ने कुछ समय तक अंपायरिंग भी की.
यशपाल शर्मा हमेशा मुस्कुराते रहने वाले पॉजिटिव व्यक्ति थे. अपनी यादों को शब्दों में पिरो कर कहने का हुनर भी जानते थे. कई टीवी शोज में एक्सपर्ट के तौर पर शामिल होते थे और गुजरे दिनों के दिलचस्प किस्से साझा करते थे. कहने का अंदाज भी अनूठा और एंगेजिंग था.
यशपाल शर्मा मैदान पर ही नहीं, बल्कि मैदान के बाहर भी अपनी हिम्मत और दृढ़ता के लिए जाने जाते थे. चेतन चौहान के साथ मिलकर, उन्होंने 1984 के दंगों के दौरान उत्तर जोन टीम के तीन सिख खिलाड़ियों को एक ट्रेन यात्रा के दौरान बचाया था. नवजोत सिंह सिद्धू, योगराज सिंह और राजिंदर घई को डिब्बे में छिपाने के बाद, शर्मा और चौहान दंगाइयों की भीड़ के सामने अड़ गए और सुनिश्चित किया कि उन तीनों को कोई नुकसान न पहुंचे.
यशपाल ने दिसंबर 2005 तक दो साल तक चयनकर्ता के रूप में भी काम किया और 2008 में उनको फिर से इस पद पर नियुक्त किया गया था. इसके बाद वह अपने साथी कृष्णमाचारी श्रीकांत की अगुवाई वाली चयन समिति में शामिल हुए, जिसने 2011 विश्व कप जीतने वाली टीम का चयन किया था. भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 37 टेस्ट और 42 एकदिवसीय मैच खेलने वाले यशपाल शर्मा का निधन 66 वर्ष की उम्र में कार्डियक अरेस्ट से हुआ था.
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-भारत एक्सप्रेस