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global warming

हजारों पेड़ों की इस कदर निर्मम कटाई से क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. तापमान में वृद्धि जारी रहेगी, बारिश का पैटर्न भी बाधित होगा और हवा और भी जहरीली हो जाएगी.

हाल में आई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भले ही मुद्रास्फीति धीमी हो गई हो, लेकिन इसका असर उपभोक्ता पर नहीं पड़ा है.

महासागर खतरे में हैं, इसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग तो एक कारण ही है, जबकि अत्यधिक मछलियों का दोहन, समुद्र में खनन, तटों पर अंधाधुंध विकास, प्रदूषण और प्लास्टिक अपशिष्ट जैसी समस्याएं महासागरों के परिस्थिति तंत्र को बिगाड़ रही हैं.

Climate Change: रिपोर्ट में बताया गया है कि उष्मा की मात्रा में भविष्य में होने वाली वृद्धि एक परमाणु बम (हिरोशिमा में हुए) विस्फोट से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा के समान होगी.

विडंबना है कि ऐसी आपातकालीन परिस्थिति आसन्न होने के बावजूद पर्यावरणीय प्रदूषण के सबसे बड़े जिम्मेदार दो देश - चीन और अमेरिका ने जीवाश्म ईंधन की नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है।