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Patanjali Misleading Ads Case: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद Baba Ramdev ने ‘बड़े साइज में’ फिर मांगी माफी

पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में बीते मंगलवार को शीर्ष अदालत ने कंपनी को निर्देश देते हुए कहा था कि हम अखबारों में प्रकाशित माफीनामे का वास्तविक आकार देखना चाहते हैं. हम यह देखना चाहते हैं कि जब आप कोई विज्ञापन जारी करते हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना होगा.

बाबा रामदेव द्वारा अखबारों में प्रकाशित माफीनामा.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा भ्रामक विज्ञापनों पर पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) द्वारा जारी सार्वजनिक माफी के आकार पर सवाल उठाने के एक दिन बाद कंपनी ने बुधवार (24 अप्रैल) को अखबारों में एक और बिना शर्त माफी जारी की. इस बार इन माफीनामों को अधिक प्रमुखता से प्रकाशित कराया गया है.

माफीनामे में क्या कहा:

योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और पतंजलि के प्रबंध निदेशक (MD) आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) द्वारा हस्ताक्षरित माफीनामे में लिखा है, ‘भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय (रिट याचिका C. संख्या 645/2022) के समक्ष चल रहे मामले के मद्देनजर हम अपनी व्यक्तिगत क्षमता के साथ-साथ कंपनी की ओर से शीर्ष अदालत के निर्देशों/आदेशों के गैर-अनुपालन या अवज्ञा के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं.’

आगे कहा गया है, ‘हम दिनांक 22/11/2023 को बैठक/प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं. हम अपने विज्ञापनों को प्रकाशित करने में हुई गलती के लिए ईमानदारी से माफी मांगते हैं और यह हमारी पूरी प्रतिबद्धता है कि ऐसी त्रुटियां दोबारा नहीं दोहराई जाएंगी. हम उचित देखभाल और अत्यंत ईमानदारी के साथ माननीय न्यायालय के निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं. हम न्यायालय की महिमा को बनाए रखने और माननीय न्यायालय/संबंधित अधिकारियों के लागू कानूनों और निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं.’


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सुप्रीम कोर्ट ने किया था तंज

बीते मंगलवार को शीर्ष अदालत ने पतंजलि की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी को निर्देश दिया था कि वे बिना विस्तार किए ‘विज्ञापनों को काटें और फिर हमारे समक्ष पेश करें. हम वास्तविक आकार देखना चाहते हैं. यह हमारा निर्देश है. हम यह देखना चाहते हैं कि जब आप कोई विज्ञापन जारी करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना होगा.’

यह तब हुआ जब रोहतगी ने अदालत को सूचित किया था कि कंपनी ने सोमवार (22 अप्रैल) को 67 अखबारों में बिना शर्त माफी के साथ विज्ञापन जारी किया था. हालांकि, पीठ ने सवाल किया कि क्या इसका आकार पतंजलि के उत्पादों के विज्ञापनों के समान है. रोहतगी ने इसका ‘न’ में जवाब देते हुए कहा था कि कंपनी आगे भी विज्ञापन जारी करेगी.

21 नवंबर 2023 को पतंजलि ने अदालत को आश्वासन दिया था कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा कंपनी पर मुकदमा दायर करने के बाद वह एलोपैथी के खिलाफ कोई भी बयान देने या कोई भ्रामक विज्ञापन जारी करने से परहेज करेगी. हालांकि, अगले ही दिन रामदेव ने कथित तौर पर वादे का उल्लंघन करते हुए हरिद्वार में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कंपनी ने 4 दिसंबर 2023 को एक विज्ञापन भी जारी किया था.

शीर्ष अदालत ने तब वादे का उल्लंघन करने के लिए रामदेव और बालकृष्ण को अवमानना ​​नोटिस जारी किया था.

रामदेव इससे पहले भी मांग चुके हैं माफी

इस महीने की शुरुआत में योगगुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी थी, क्योंकि अदालत के आदेशों का उल्लंघन कर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने और विज्ञापन प्रकाशित करने के मामले में शीर्ष अदालत ने उन्हें फटकार लगाई थी.

यह माफी उस मामले में अदालत द्वारा जारी किए गए अवमानना नोटिस के जवाब में मांगी गई थी, जिसमें कथित तौर पर भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने, कुछ बीमारियों के इलाज का दावा करने और दवाओं की एलोपैथी शाखा की आलोचना करने के लिए उनके खिलाफ दायर कराया गया था.

न्यायालय ने रामदेव और बालकृष्ण को 16 अप्रैल को हिदायत दी थी कि वे ‘एलोपैथी को नीचा दिखाने’ का कोई प्रयास नहीं करें. अदालत ने उन्हें पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन के मामले में एक सप्ताह के भीतर ‘सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और पछतावा प्रकट करने’ की अनुमति दी थी. शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि वह अभी उन्हें इस चरण में राहत नहीं देगी.

पीठ ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 30 अप्रैल की तारीख तय की है. शीर्ष अदालत 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ पतंजलि की ओर से एक दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है.

-भारत एक्सप्रेस

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