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Rajasthan Election 2023

राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले एक मोर्चे पर कांग्रेस के खेमे में राहत नजर आ रही है. लंबे समय से सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच खींचतान अब नरमी में तब्दील होती नजर आई है.

कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व राजस्थान में टिकट चयन प्रक्रिया के प्रारंभिक चरण को सिर्फ प्रदेश चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी के भरोसे नहीं छोड़ना चाहता। पैनल बनने से लेकर नाम फाइनल होने तक दिल्ली का पूरा दखल रहेगा। एआईसीसी का पूरा फोकस है कि एक भी कमजोर और सिफारिशी उम्मीदवार मैदान में न आने पाए।

सीएम अशोक गहलोत के विजन-2030 डॉक्यूमेंट के लिए अब तक 3 करोड़ 14 लाख 66 हजार 312 सुझाव आए हैं। ये सुझाव विषय विशेषज्ञों ने नहीं बल्कि प्रदेश के आमजन ने दिए हैं। आम आदमी को फ्री की दो ही चीजें दीजिए- शिक्षा व स्वास्थ्य। पब्लिक का कहना है कि मनरेगा पर भारी पैसा लग रहा है,मॉडल बदलिए।

AIMIM जिन 40 मुस्लिम बहुल सीटों पर फोकस कर रही है, वहां फिलहाल कांग्रेस का पलड़ा भारी है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा के बाद बीजेपी ने विधानसभा चुनावों की तैयारियां तेज कर दी हैं. गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रमुख नेताओं के साथ बैठकें कीं.

राजस्थान में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के ताबड़तोड़ दौरे चर्चा में हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में इस पर खुलकर आपत्ति जताई है. गहलोत ने कहा है कि उपराष्ट्रपति एक दिन में चार-पांच दौरे कर रहे हैं.पूरे प्रोटोकॉल के तहत दौरे पर आ रहे हैं जबकि राजस्थान में चुनाव हैं.

राजस्थान में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. चुनावी रणनीति बनाने के साथ ही रूठे हुए नेताओं को मनाने का सिलसिला भी जारी है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री का पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन यह पद मुझे नहीं छोड़ रहा है. भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि यदि कोई भाजपा के अलावा किसी पार्टी को पैसा देता है तो ईडी, इनकम टैक्स का डर रहता है.

राजस्थान की सियासत में हमेशा से बड़े राजनीतिक परिवारों का बड़ा दखल रहा है। विधानसभा चुनाव के शंखनाद से पहले ही राजनीतिक पार्टियां इन परिवारों को अपने पाले में करने में जुट गई हैं.

राजस्थान में ओबीसी फैक्टर विधानसभा चुनावों में पूरी सियासत को हर बार बदलता है. विधानसभा चुनावों को आम तौर पर सरसरी निगाह से देखें तो पूरा प्रदेश जातियों में बंटा नज़र आता है. ओबीसी में शामिल जातियां किसी एक मंच पर दिखाई नहीं देती हैं.