प्रतीकात्मक फोटो (Pixabay)
Drink & Drive Case: भारत में, कानून ड्राइविंग के दौरान खून में अल्कोहल की एक सीमित मात्रा (Blood Alcohol Content – BAC) की अनुमति देता है. निजी वाहन चालकों के लिए यह सीमा 0.03% (प्रति 100 मिलीलीटर खून में 30 मिलीग्राम अल्कोहल) है. हालांकि, कमर्शियल वाहन चालकों के लिए यह सीमा शून्य निर्धारित है, यानी उनके खून में अल्कोहल बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए. यदि आपका BAC तय सीमा के भीतर है, तो आप कानूनी रूप से “नशे में गाड़ी चलाने” (DUI – Driving Under Influence) के दोषी नहीं माने जाते.
मोटर इंश्योरेंस और शराब का प्रभाव (Motor Insurance and Alcohol Impact)
भले ही कानून BAC की एक सीमित मात्रा को मान्यता देता हो, लेकिन इंश्योरेंस पॉलिसियों में शराब या नशीली दवाओं के प्रभाव में ड्राइविंग के लिए स्पष्ट प्रतिबंध होता है.
यदि दुर्घटना के दौरान आप शराब के नशे में पाए जाते हैं, तो बीमा कंपनियां आमतौर पर “ड्राइविंग अंडर इंफ्लुएंस” क्लॉज का हवाला देकर आपका दावा खारिज कर सकती हैं.
BAC की सीमा के भीतर रहना भी खतरनाक क्यों?
BAC की कानूनी सीमा के भीतर होने के बावजूद, अल्कोहल आपकी निर्णय क्षमता, रिएक्शन टाइम और जजमेंट को प्रभावित कर सकता है. बीमा कंपनियां अक्सर यह जांच करती हैं कि दुर्घटना में शराब ने किस हद तक भूमिका निभाई. यदि पुलिस रिपोर्ट में यह साबित होता है कि शराब के कारण आपकी गाड़ी चलाने की क्षमता प्रभावित हुई, तो आपका क्लेम खारिज हो सकता है.
1988 का मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act, 1988)
भारत में, 1988 के मोटर वाहन अधिनियम के तहत शराब पीकर गाड़ी चलाने पर सख्त सजा का प्रावधान है. इसके तहत:
- पहली बार पकड़े जाने पर– जुर्माना या छह महीने तक की जेल.
- बार-बार अपराध करने पर– जुर्माना और अधिकतम दो साल की जेल.
- ड्राइविंग लाइसेंस का निलंबन.
नोट- गंभीर दुर्घटनाओं के मामलों में, सजा और भी कड़ी हो सकती है.
शराब और ड्राइविंग का असर (Impact of Alcohol on Driving)
शराब का सेवन आपके रिफ्लेक्स, निर्णय क्षमता और सड़क पर खतरे को समझने की शक्ति को कमजोर कर देता है. इससे सड़क पर दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है.
ध्यान रखें… कोई आपका रास्ता देख रहा है
भले ही भारत में निजी वाहन चालकों के लिए एक सीमित BAC की अनुमति है, लेकिन सुरक्षित ड्राइविंग के लिए यह बेहतर है कि गाड़ी चलाते समय शराब से पूरी तरह परहेज करें. न केवल यह आपके जीवन की सुरक्षा करता है, बल्कि इंश्योरेंस क्लेम के दौरान कानूनी और आर्थिक समस्याओं से भी बचाता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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