

रिपोर्ट- अनुज कुमार, लखनऊ.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 से पहले सूबे में जनजातीय समाज को न वोटिंग का अधिकार था, न उनके पास राशन कार्ड, न बिजली-सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं थीं. भाजपा सरकार आने के बाद थारू, मुसहर, कोल, गोंड जैसी जनजातियों को न केवल पहचान मिली बल्कि विकास की मुख्यधारा से जोड़ा गया. उन्होंने कहा कि पहले मिशनरी और वामपंथी तत्व इन समुदायों का ब्रेनवॉश कर रहे थे.
सीमा क्षेत्र में सुरक्षा और विकास दोनों अहम
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में बसे वनटांगिया के 55 गांवों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं थे. यह स्थिति देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन चुकी थी. भाजपा सरकार ने इन्हें राजस्व ग्राम का दर्जा देकर योजनाएं लागू कीं और विकास की रफ्तार दी.
गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा बनी माध्यम
लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल, गोमतीनगर विस्तार में आयोजित ‘श्री गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा 5.0’ के कार्यकर्ता सम्मान समारोह में सीएम योगी ने बताया कि यह यात्रा केवल स्वास्थ्य सेवा नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है. यह भारत-नेपाल सीमा पर विश्वास और एकता का प्रतीक बन चुकी है.
ब्रिटिश शोषण से आज़ादी तक की लंबी यात्रा
सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐतिहासिक सन्दर्भ देते हुए बताया कि अंग्रेजों ने थारू जनजाति को जंगलों में बसाया था और उन्हें वेतन रहित जीवन में धकेल दिया गया. स्वतंत्रता के बाद भी पिछली सरकारों ने इन पर ध्यान नहीं दिया. भाजपा ने इनकी दशा सुधारने का कार्य किया.
प्रदेश में जन-जागरण और सेवाभाव की प्रेरणा
सीएम योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नानाजी देशमुख और अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ का आभार जताया. उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं ने बच्चों के लिए स्कूल और छात्रावास बनाए और सीमावर्ती क्षेत्रों में समाजसेवा को जीवंत किया.
स्वास्थ्य सेवाओं की ऐतिहासिक पहल शुरू की
सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि इंसेफेलाइटिस, टीबी, त्वचा रोग जैसी बीमारियों से लड़ने में यह सेवा यात्रा बेहद कारगर रही है. कोरोना काल में भी यह जारी रही. डाटा एकत्र कर पौष्टिक आहार, दवा और जागरूकता पहुंचाई गई.
कार्यकर्ताओं का सम्मान और भविष्य का संकल्प
समारोह के समापन पर सीएम योगी ने यात्रा से जुड़े सभी स्वयंसेवकों को सम्मानित किया और कहा कि यह यात्रा राष्ट्र निर्माण की दिशा में बड़ा कदम है. जैसे आदि शंकराचार्य की दिग्विजय यात्रा ने भारत को जोड़ा था, वैसे ही यह सेवा यात्रा सामाजिक समरसता का प्रतीक है.
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