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‘तेरा नहीं ये मेरा है..’, मेमने को लेकर भिड़ीं दो महिलाएं, फिर थाने में बकरी मंगवाकर UP Police ने ऐसे किया न्याय

Uttar pradesh news: कानपुर के कल्याणपुर थाने में ‘समाधान दिवस’ के दौरान अनोखा मामला सामने आया. दो महिलाओं के बीच इस बात को लेकर विवाद हो गया कि बकरी का बच्चा मेमना किसका है.

प्रतीकात्मक फोटो.

UP News: उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस ने शनिवार को एक ऐसा मामला सुलझाया जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है. दरअसल, एक बकरी के बच्चे (मेमने) को लेकर दो महिलाएं आपस में भिड़ गईं. विवाद इतना बढ़ गया कि मामला थाने तक पहुंच गया. पुलिस ने मामले को सुलझाने की काफी कोशिश की, लेकिन जब बात नहीं बनी तो उन्होंने एक बकरी के जरिए रास्ता निकाला, जिसकी वजह से कानपुर पुलिस सुर्खियों में आ गई.

कानपुर के कल्याणपुर थाने में शनिवार को समाधान दिवस के दौरान एक अनोखा मामला सामने आया. दो महिलाओं के बीच इस बात को लेकर विवाद हो गया कि बकरी का बच्चा मेमना किसका है. बात नहीं बनी तो थाने में मेमने की ‘मां’ का पता लगाने के लिए ऐसा तरीका अपनाया गया, जिसे देखकर पुलिसकर्मी और आम लोग सभी मुस्कुरा उठे.

जानकारी के मुताबिक, गोवा गार्डन निवासी चंद्रा देवी के पास एक सफेद रंग की बकरी थी. 20 दिन पहले उनके पास एक मेमना आया था, उसकी तबीयत खराब थी. चंद्रा देवी के पति सुमन उसे इलाज के लिए ले जा रहे थे. तभी गोवा गार्डन चौराहे के पास मीना कुमारी नाम की महिला ने उन्हें रोका और कहा कि यह मेमना मेरी बकरी का है. इस पर विवाद शुरू हो गया. चंद्रा देवी वहां पहुंच गईं.

विवाद बढ़ने लगा तो किसी ने कंट्रोल रूम पुलिस को सूचना दे दी. कल्याणपुर पुलिस मौके पर पहुंची और सभी को थाने ले गई. थाने में समाधान दिवस चल रहा था. इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने दोनों महिलाओं की बात सुनी. दोनों बकरी के बच्चे को लेकर अपना-अपना दावा कर रही थीं.

दोनों बकरियों को बांध कर मेमने को छोड़ दिया

चंद्रा देवी की बकरी सफेद थी, जबकि मीना कुमारी की बकरी काले रंग की थी. बकरी का बच्चा काले और सफेद दोनों रंग का था. इस पर कोई समाधान नजर नहीं आया और दोनों महिलाएं अपने दावे से पीछे हटने को तैयार नहीं थीं.

इसके बाद चंद्रा देवी और मीना कुमारी की बकरियों को अलग-अलग कोनों में बांध दिया गया. इसके बाद कहा गया कि मेमने को छोड़ दिया जाएगा, यह जिसके पास भी जाएगा और दूध पिएगा, यह स्पष्ट हो जाएगा कि वह बकरी ही इसकी मां है. दोनों महिलाएं राजी हो गईं. इसके बाद बकरी के बच्चे को छोड़ दिया गया.

पहले तो वह कुछ देर इधर-उधर देखता रहा. फिर दौड़कर सीधा गया और सफेद बकरी को गले से लगाकर दूध पीने लगा. यह देख सभी तालियां बजाने लगे. इसके बाद जब इंस्पेक्टर ने मीना कुमारी से पूछा तो मीना ने कहा कि गलतफहमी हो गई है. बच्चा उसी बकरी का है. इसके बाद मेमने को चंद्रा देवी को सौंप दिया गया.

बकरी का बच्चा खोने से हुई कन्फ्यूजन

मीना कुमारी ने कहा कि कई दिन पहले मेरी बकरी का बच्चा खो गया था, उसका रंग भी काला और सफेद था. मेरी बकरी काली है, इसलिए मुझे लगा कि मेमना मेरी बकरी का है. वहीं, चंद्रा देवी ने भी सहृदयता दिखाते हुए कहा कि अगर मैं होती तो मैं भी ऐसा ही करती. इंस्पेक्टर सुधीर कुमार ने कहा कि मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था, फिर मैंने सोचा कि बच्चा जानवर का हो या इंसान का, वह अपनी मां को पहचानता ही है. यही सोचकर मैंने यह तरीका अपनाया और यह तरीका काम कर गया.

पुलिस की सतर्कता, इंस्पेक्टर की सूझबूझ और मेमने की सहज प्रवृत्ति ने एक जटिल केस को चुटकियों में सुलझा दिया. यह घटना थाने की फाइलों में दर्ज तो नहीं हुई, लेकिन इसने वहां मौजूद हर शख्स के चेहरे पर मुस्कान जरूर छोड़ दी.

-भारत एक्सप्रेस



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