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पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 15 जनवरी को करेगा सुनवाई

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 15 जनवरी को 2 बजे सुनवाई करेगा. सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल चयन आयोग द्वारा की गई नियुक्तियों से संबंधित मामले में सुनवाई करेगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट यह कह चुका है कि जिन शिक्षकों की नियुक्तियां गैरकानूनी पाई जाएगी, उनका वेतन लौटना सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाई कोर्ट के उस आदेश पर आंशिक रोक लगा रखा है, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक कोई ठोस कदम नहीं उठाएगी. कोर्ट ने कहा था कि यह एक बहुत सीमित मुद्दा है कि क्या पूरी परीक्षा रद्द कर दी जानी चाहिए थी या क्या हम उन उम्मीदवारों की पहचान करने में सक्षम थे, जिनके साथ गलत हुआ था. इसे जटिल नहीं बनाना चाहिए. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अधिकारी 25,753 शिक्षकों और गैर शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित डिजिटल रेकॉर्ड बनाये रखने के लिए बाध्य है.

कोर्ट ने व्यवस्थागत पर उठाए सवाल

कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील से पूछा था कि सार्वजनिक नौकरी बहुत कम है. अगर जनता का विश्वास चला गया तो कुछ नहीं बचेगा. यह व्यवस्थागत धोखाधड़ी है. सरकारी नौकरियां बेहद कम हैं और उन्हें सामाजिक गतिशीलता के रूप में देखा जाता है. अगर उनकी नियुक्तियों को भी बदनाम कर दिया जाए तो सिस्टम में क्या रह जाएगा. लोग विश्वास खो देंगे. आप इसे कैसे स्वीकार करेंगे. कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार के पास यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि डाटा उसके अधिकारियों द्वारा बनाए रखा गया था और इसकी उपलब्धता के बारे में पूछा गया था.


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कोर्ट ने राज्य सरकार के वकीलों से कहा था कि या तो आपके पास डाटा है या आपके पास नहीं है. आप दस्तावेजों को डिजिटल रूप में बनाये रखने के लिए बाध्य थे. अब, यह स्पष्ट है कि कोई डाटा नहीं है. आप इस तथ्य से अनजान है कि आपका सेवा प्रदाता एक अन्य एजेंसी को नियुक्त किया है. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील ने कोलकाता हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पूछा था कि क्या इस तरह के आदेश को कायम रखा जा सकता है. उन्होंने तर्क दिया था कि यह सीबीआई का भी मामला नहीं है कि सभी 25000 नियुक्तियां अवैध है. वही स्कूल सेवा आयोग का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया था कि हाइकोर्ट की पीठ के पास नौकरियां रद्द करने का अधिकार क्षेत्र नही था, और उसके इस मामले में शीर्ष अदालत के फैसलों के विपरीत थे.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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