आखिर क्यों सृष्टि के रचयिता ब्रह्मदेव की पूजा नहीं होती है? यहां जानिए इसकी वजह
By निहारिका गुप्ता
USA News Today: अमेरिका में एक शख्स को हाइपॉक्सिया नाइट्रोजन गैस सुंघाकर मौत की सजा देने की मांग की गई है. उस शख्स को 1999 में बर्मिंघम में तीन लोगों की हत्या का दोषी पाया गया था. बहरहाल, उसकी सजा पर अमल ऐसे समय में हो रहा है, जब अमेरिका में हाइपॉक्सिया नाइट्रोजन गैस सुंघाकर दोषियों को मौत की सजा देने को लेकर लोगों की अलग-अलग राय व्यक्त की जा रही हैं.
कुछ लोगों का कहना है कि किसी शख्स को इस तरह मृत्युदंड नहीं दिया जाना चाहिए, वहीं, कई ये लोग मानते हैं कि हत्यारों को तो कैसे भी दंडित किया जाए, ये पीडितों के न्याय ही होगा. बता दें कि अमेरिका के अल्बामा में एक महीने पहले ही हाइपॉक्सिया नाइट्रोजन गैस के जरिए एक दोषी को मौत की सजा दी गई थी, अब इसके बाद से फिर से एक कैदी को उसी तरह सजा देने के लिए समय मांगा गया है.
अलबामा के महान्यायवादी स्टीव मार्शल के कार्यालय ने बुधवार को अल्बामा के उच्चतम न्यायायल से दोषी एलन यूजीन मिलर के लिए सजा की तारीख तय करने का अनुरोध किया. महान्यायवादी के कार्यालय ने कहा कि मिलर को मृत्युदंड नाइट्रोजन हाइपॉक्सिया के जरिए दिया जाएगा. मिलर को 1999 में बर्मिंघम में तीन लोगों की हत्या का दोषी पाया गया था.
इससे पहले भी केनेथ स्मिथ नाम के शख्स को सजा दी गई थी, जिस पर आरोप था कि उसने साल 1988 में अमेरिकी पादरी की पत्नी महिला का कत्ल किया था. यहां यह बता देना जरूरी है कि विगत 25 जनवरी को पहली बार नाइट्रोजन गैस के जरिए केनेथ स्मिथ को ही मौत की सजा दी गई थी और वहां पर मौजूद लोगों का कहना था कि स्मिथ को कई मिनट तक झटके आते रहे और वह दर्द से तडप रहा था.
अटॉर्नी जनरल स्टीव मार्शल के कार्यालय ने कहा कि दोषी को दंडित करने के लिए यह तरीका सबसे अच्छा है. अटॉर्नी जनरल स्टीव मार्शल के कार्यालय ने ये स्टेटमेंट दिया है कि राज्य आगे भी दोषियों को इसी तरह मौत की सजा देने के फैस्ले लेगा. उन्होंने स्मिथ को सजा दिए जाने के अगले दिन अन्य राज्यों को भी इस तरीके पर विचार करने का अनुरोध किया था.
मौत की सजा पाए दोषी की ओर से दायर याचिका में नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल बंद करने की दरख्वास्त की गई है. वहां मौजूद कई लोगों का कहना था कि यह एक क्रूर तरीका है, और ‘‘इंसानों पर घातक प्रयोग करने’’ जैसा है. इसे जायज नहीं ठहराया जा सकता.
याचिका में कहा गया कि पहले मानव प्रयोग के नतीजे अब आ गए हैं और वे दर्शाते हैं कि नाइट्रोजन गैस से न तो जल्दी दम घुटता है और न ही यह प्रक्रिया दर्द से रहित है, बल्कि यह निर्मम और अमानवीय घटना है.
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