सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया
एक लेजर तकनीक पर आधारित माइक्रोस्कोप को अमेरिकी वैज्ञानिकों ने विकसित किया है. इसकी खासियत ये है कि ये एटोसेकंड ( एक सेकंड के एक अरबवें का अरबवां हिस्सा) की गति से तस्वीर लेने में सक्षम है. बता दें कि इस शोध के बारे में भौतिक वैज्ञानिक मोहम्मद हसन और उनके सहयोगियों के ‘साइंस एडवांसेज‘ पत्रिका में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है.
मालूम हो कि कि इस तकनीक को “एटोमाइक्रोस्कोपी” कहा जा रहा है, जो अणु के अंदर इलेक्ट्रॉनों की तेजी से हो रही गति को पहले की तुलना में कहीं अधिक सटीकता से पकड़ सकती है. साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के टूसॉन की एरिजोना यूनिवर्सिटी के हसन कहते हैं, “मैं हमेशा उन चीजों को देखना चाहता हूं जिन्हें पहले किसी ने नहीं देखा.”
जानें क्या होता है एटोसेकंड?
हसन बताते हैं कि एटोसेकंड समय की इकाई है जो एक सेकंड के एक क्विंटिलियनवें हिस्से के बराबर होती है, यानी एक सेकंड = 1,000,000,000,000,000,000 सेकंड. एक एटोसेकंड, एक फेम्टोसेकंड से 1,000 गुना छोटा होता है. एक फेम्टोसेकंड एक सेकंड की तुलना में लगभग 317 लाख साल के बराबर है. यानी इस बात को इस तरह से समझ सकते हैं कि इंसान के पलक झपकने का समय करीब 300,000,000,000,000 एटोसेकंड या 3000 खरब एटोसेकंड होता है. एक एटोसेकंड में प्रकाश केवल लगभग 0.0000000003 मिलीमीटर की दूरी तय करेगा. मालूम हो कि एटोसेकंड समयसीमा का प्रयोग बहुत तेज घटनाओं जैसे कि अणुओं और अणुओं के अंदर इलेक्ट्रॉनों की गति का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, जिससे वैज्ञानिक अत्यंत तेज गति पर होने वाली प्रक्रियाओं को देखकर उनका विश्लेषण कर सकते हैं.
इस तरह की इमेज नहीं कर सकता है कैप्चर
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह माइक्रोस्कोप अभी तक किसी एक इलेक्ट्रॉन की इमेज नहीं कैप्चर कर सकता. इसके लिए बहुत अधिक रेजोल्यूशन की जरूरत होगी लेकिन बहुत सारी तस्वीरों को जोड़कर, वैज्ञानिकों ने एक प्रकार की स्टॉप-मोशन फिल्म बनाई है जो दिखाती है कि एक अणु के अंदर इलेक्ट्रॉनों का एक संग्रह कैसे गति करता है.
ये मिल सकती है मदद
शोध पत्र के मुताबिक, यह तकनीक शोधकर्ताओं को यह देखने में मदद कर सकती है कि रासायनिक प्रतिक्रिया कैसे होती है या डीएनए के अंदर इलेक्ट्रॉनों की गति को कैसे दिखाया जा सकता है. यह जानकारी वैज्ञानिकों को नए पदार्थ या व्यक्तिगत दवाएं विकसित करने में मदद कर सकती है. हसन ने इसको लेकर कहा है कि “इस नए टूल के साथ, हम वैज्ञानिकों को प्रयोगशाला में मिले नतीजों और वास्तविक जीवन के प्रयोगों के बीच एक पुल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो हमारे दैनिक जीवन पर प्रभाव डाल सकता है.”
किया गया है लेजर का उपयोग
इस अकल्पनीय तेज गति से तस्वीरें लेने के लिए हसन और उनके सहयोगियों ने लेजर का उपयोग करके इलेक्ट्रॉन बीम को अल्ट्राशॉर्ट पल्स में काटा. कैमरे के शटर की तरह, उन पल्सों ने उन्हें हर 625 एटोसेकंड में ग्रेफीन की एक शीट में इलेक्ट्रॉनों की नई तस्वीर बनाने की सुविधा दी, जो मौजूदा तकनीकों की तुलना में लगभग एक हजार गुना तेज है.
इलेक्ट्रॉनों को तरंगों के रूप में भी देखा जा सकता है
वह आगे कहते हैं कि एटोमाइक्रोस्कोप एक संशोधित ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप है, जो इलेक्ट्रॉनों की एक किरण का उपयोग करके बहुत छोटे नैनोमीटर के आकार की चीजों की इमेजिंग करता है. प्रकाश की तरह, इलेक्ट्रॉनों को तरंगों के रूप में भी देखा जा सकता है. हालांकि, ये तरंगें प्रकाश की तरंगों की तुलना में कहीं छोटी होती हैं. इसका मतलब है कि एक इलेक्ट्रॉन बीम की रेजोल्यूशन एक पारंपरिक लेजर की तुलना में अधिक होती है और यह छोटे आकार की चीजों, जैसे कि परमाणु या अन्य इलेक्ट्रॉनों के बादलों का पता लगा सकती है.
-भारत एक्सप्रेस