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‘वैश्विक खाद्य संकट को दूर करने के लिए सामूहिक समाधान की जरूरत’- UN में बोलीं भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज

New York: कंबोज ने कहा कि सभी देशों को मानवीय सहायता को राजनीतिक मुद्दों से जोड़ने से बचने की जरूरत है.

India's Permanent Representative to the UN, Ruchira Kamboj

UN में रुचिरा कंबोज

New York: दुनिया भर में खाद्य संकट की बढ़ती आशंका के बीच, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में इसे दूर करने के लिए सामूहिक समाधान और त्वरित मानवीय खाद्य सहायता की वकालत की है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने वैश्विक खाद्य असुरक्षा को हल करने के लिए चार उपाय बताते हुए कहा कि जी20 अध्यक्ष के रूप में नई दिल्ली के प्रयासों का उद्देश्य “खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा की मौजूदा चुनौतियों” को दूर करना और बिना देर किये कमजोर समुदायों की मानवीय जरूरतों को पूरा करना है.

खाद्य असुरक्षा खतरनाक स्तर पर

इससे पहले, उन्होंने कहा कि खाद्य असुरक्षा का स्तर वास्तव में खतरनाक अनुपात में पहुंच गया है. यह अनुमान लगाया गया है कि इस वर्ष खाद्य असुरक्षित लोगों की संख्या 2020 से दोगुनी हो जाएगी. हमारे पड़ोस में अफगानिस्तान के अलावा यूक्रेन सहित दुनिया के कई हिस्सों में चल रहे संघर्षों ने संकट को और बढ़ा दिया है.

कम्बोज ने कहा, “बातचीत और कूटनीति के माध्यम से एक सामूहिक और सामान्य समाधान समय की आवश्यकता है. हम वैश्विक खाद्य असुरक्षा की चुनौती से निपटने के तरीके खोजने के लिए महासचिव के प्रयासों का समर्थन करते हैं.” बता दें कि कम्बोज की ये टिप्पणी यूएनएससी में सशस्त्र संघर्ष में नागरिकों की सुरक्षा पर “संघर्ष में नागरिकों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करना: खाद्य असुरक्षा को संबोधित करना और आवश्यक सेवाओं की रक्षा” विषय पर खुली बहस के दौरान आई थी.

भारत की विभिन्न देशों को मानवीय सहायता

कंबोज ने कहा कि सभी देशों को मानवीय सहायता को राजनीतिक मुद्दों से जोड़ने से बचने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने यूक्रेन, अफगानिस्तान, यमन और म्यांमार सहित संघर्ष का सामना कर रहे देशों को खाद्यान्न की विशेष आपूर्ति में महत्वपूर्ण मानवीय सहायता प्रदान की है.

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नदद में आगे रहेगा भारत

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने तीसरे बिंदु की ओर इशारा किया और कहा कि सशस्त्र संघर्ष और आतंकवाद, मौसम, फसल कीट, खाद्य कीमतों में अस्थिरता, बहिष्करण और आर्थिक झटके संयुक्त रूप से किसी भी नाजुक अर्थव्यवस्था को तबाह कर सकते हैं, जिससे खाद्य असुरक्षा और वृद्धि हुई है. कम्बोज ने कहा कि “अंत में, दुनिया भर में बढ़ती चुनौतियों का सामना करते हुए, भारत कभी भी उन लोगों की मदद करने में पीछे नहीं रहेगा जो संकट में हैं.”

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