न्यायिक सुधार पर इजराइल में बवाल
Israel Judicial Reform: इजराइल में विवादित न्यायिक सुधार कानून को लेकर मचे भारी बवाल के बाद पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को अपने फैसले से पीछे हटना पड़ा है. इस कानून के विरोध में न केवल विपक्ष के नेता बल्कि, सरकार के अधीन काम करने वाले अफसर और आम लोग भी सड़कों पर उतर आए थे और वे पानी की बौछारों के आगे झुकने को तैयार नहीं थे. आखिरकार तेज होते विरोध के आगे पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को ही झुकना पड़ा और उन्हें न्यायिक सुधार के प्रस्तावों को वापस लेना पड़ा.
अर्थव्यवस्था के ठप्प पड़ने का खतरा मंडराने लगा था
पीएम नेतन्याहू की न्यायिक सुधार योजना का देश में अभूतपूर्व तरीके से विरोध हो रहा था और लोगों के सड़कों पर उतरने के कारण घरेलू संकट की स्थिति बनने लगी थी. न्यायिक सुधार कानून के खिलाफ पिछले तीन महीनों से हो रहा प्रदर्शन इस सप्ताह बहुत तेज हो गया. इजराइल के मुख्य ट्रेड यूनियन ने आम हड़ताल की घोषणा कर दी जिसके कारण अफरातफरी का माहौल बन गया. यहां तक कि देश के ज्यादातर हिस्से बंदी की चपेट में आ गए और अर्थव्यवस्था के ठप्प पड़ने का खतरा मंडराने लगा.
इस बीच, नेतन्याहू ने अपने भाषण में स्वीकार किया कि देश में विभाजन की बातें उड़ रही हैं और इस कानून को लाने में एक महीने की देरी करने की घोषणा की. हालांकि, उसके कुछ ही घंटों के भीतर विश्लेषकों ने कहा कि रक्षा मंत्री को पद से बर्खास्त किये जाने के बाद से हंगामा बढ़ा है और नेतन्याहू की लोकप्रियता उनकी पार्टी में भी कम हो गई है.
ये भी पढ़ें: Pakistan: “या तो इमरान खान मारे जाएंगे या हम”, पाकिस्तान के गृह मंत्री सनाउल्लाह ने दिया विवादित बयान
‘इजराइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट’ के अध्यक्ष योहनान प्लेस्नेर का कहना था कि उन्होंने समझ लिया है कि उनके पास और कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि बेहद अनुभवी नेतन्याहू समझ रहे हैं कि अब सुधार करने का समय है.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि वह गृहयुद्ध से बचना चाहते हैं और राजनीतिक विपक्षियों के साथ समझौता करेंगे. यरूशलम में संसद भवन के सामने हजारों लोगों के प्रदर्शन के बाद नेतन्याहू ने यह बात कही. उनकी घोषणा से महीनों से जारी तनाव और अशांति की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन इससे उन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है, जो इजराइल की जनता का ध्रुवीकरण कर रही है.