
भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव भारतीय जासूस होने के आरोपों के चलते पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. कुलभूषण जाधव को ऊपरी अदालत में अपील करने का अधिकार नहीं दिया गया है. यह जानकारी पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दी.
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक कुलभूषण जाधव को 2019 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के एक फैसले के बाद अपील करने का अधिकार नहीं दिया गया, क्योंकि उस फैसले में केवल उन्हें काउंसलर एक्सेस करने का अधिकार ही मिला.
गुरूवार को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के वकील ने पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आईसीजे का फैसला उन्हें सैन्य अदालत के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देने का अधिकार नहीं दिला सका. जून 2019 में भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ICJ ने कुलभूषण जाधव के काउंसलर एक्सेस के अधिकार की पुष्टि की और पाकिस्तान से उनकी सजा और मौत की सजा की समीक्षा और पुनर्विचार करने को कहा था.
कोर्ट ने पुछा क्या ऐसा अधिकार जाधव को भी मिला
पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के वकील ख्वाजा हारिस अहमद ने बुधवार को देश के सर्वोच्च न्यायालय की एक संवैधानिक पीठ के सामने कुलभूषण जाधव के मामले का जिक्र किया, जब मई 2023 में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सैन्य अदालतों द्वारा दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ कार्यवाही चल रही थी. तब कोर्ट ने पुछा कि क्या अपील करने का अधिकार जाधव को भी दिया गया था. अगर उन्हें मिला है तो यह पाकिस्तानी नागरिक को क्यों नहीं दी गई. इस पर रक्षा मंत्रालय के वकील ने कहा कि जाधव को अपील का कोई अधिकार नहीं मिला था.
2016 में कुलभूषण की हुई थी गिरफ्तारी
पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण जाधव को 2016 में जासूसी और आतंकवाद के आरोप में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था. 2017 में पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने उन्हें जासूसी के आरोप में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. भारत ने जाधव को दोषी ठहराने के मुकदमे को “हास्यास्पद” कहा है.
वहीं भारत ने पाकिस्तान के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना अधिकारी को चाबहार के ईरानी बंदरगाह से अपहरण कर लिया गया थ. वह ईरान अपने बिजनेस के सिलसिले में गए थे.
पाकिस्तान ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया
ICJ ने अपने फैसले में पाकिस्तान से यह भी कहा कि जाधव की फांसी तब तक निलंबित रहनी चाहिए जब तक कि पाकिस्तान दोषसिद्धि और सजा की समीक्षा और पुनर्विचार नहीं कर लेता. जुलाई 2020 में आईसीजे के फैसले के एक साल बाद भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने आईसीजे के फैसले को “शब्दशः” लागू करने से इनकार कर दिया, जबकि न्यायालय भारत के इस रुख़ से सहमत था कि पाकिस्तान ने जाधव तक राजनयिक पहुंच से इनकार करके वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है.
-भारत एक्सप्रेस
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