पीएम नरेंद्र मोदी (फोटो फाइल)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पापुआ न्यू गिनी में 21 मई को आयोजित हुए भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग (एफआईपीआईसी) शिखर सम्मेलन के 12 चरणों की पहल का अनावरण किया. दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका-चीन रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच क्षेत्र में तटस्थ और रचनात्मक एजेंडे पर भारत की सकारात्मक भागीदारी न केवल प्रशांत द्वीप देशों (पीआईसी) के साथ विकास सहयोग की प्रवृत्ति स्थापित करेगी, बल्कि भू-राजनीतिक तनाव को भी कम करेगी. इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता ने इस क्षेत्र में उसके आधिपत्यवादी इरादों को लेकर संदेह पैदा कर दिया है जैसा कि दक्षिण चीन सागर में भी देखा गया है.
ट्विटर पर पीएम मोदी द्वारा घोषित सभी 12 कदमों को किया गया सूचीबद्ध
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ट्विटर करते हुए पीएम मोदी द्वारा घोषित सभी 12 कदमों को सूचीबद्ध किया. जिसकी पहली घोषणा में फिजी में एक नया 100-बिस्तर वाला क्षेत्रीय सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल खोलना और पापुआ न्यू गिनी में एक क्षेत्रीय आईटी और साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण केंद्र की स्थापित करना शामिल रहा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “सागर अमृत स्कॉलरशिप – अगले 5 वर्षों में 1000 स्कॉलरशिप, 2023 में पापुआ न्यू गिनी में जयपुर फुट कैंप. इसके बाद, अन्य प्रशांत द्वीप देशों में सालाना दो कैंप.
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भारत ने इन मुद्दों पर दिया जोर
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सुझाई गई अधिकांश पहल पूरी तरह से विकास और कल्याूणकारी प्रकृति की हैं, न कि रणनीतिक हिस्से दारी बनाने की जैसा कि चीन जैसे देशों के कार्यक्रमों में देखा जाता है. इन 12 चरणों की पहलों में एफआईपीआईसी एसएमई विकास परियोजना, सरकारी भवनों के लिए सौर परियोजना, पेयजल के लिए विलवणीकरण इकाइयां, समुद्री एम्बुलेंस की आपूर्ति, डायलिसिस इकाइयां स्थापित करना, 24×7 आपातकालीन हेल्पलाइन, जन औषधि केंद्र, योग केंद्र आदि शामिल हैं. प्रशांत द्वीप समूह के देशों के साथ भारत के जुड़ाव में सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे और सामुदायिक विकास परियोजनाओं के निर्माण दोनों शामिल हैं. आईटी और डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग इसके लिए एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है.
-भारत एक्सप्रेस