पीएम मोदी और भूटान नरेश.
PM Modi Bhutan Visit: प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार दिल्ली से दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर भूटान पहुंच गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पारो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद उनका स्वागत भूटान के पीएम शेरिंग टोबगे ने किया. जिसके बाद पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया. पीएम मोदी को गुरुवार को ही भूटान दौरे पर निकलना था, लेकिन मौसम खराब होने की वजह से यात्रा टाल दी गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा के दौरान भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और उनके पिता जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से मुलाकात करेंगे. पीएम मोदी की इस यात्रा को लेकर पीएमओ ने बुधवार को ही एक बयान जारी किया था.
पीएमओ ने कहा कि यह यात्रा भारत और भूटान के बीच नियमित रूप से होने वाली उच्चस्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा और सरकार की ‘पड़ोसी प्रथम की नीति’ पर जोर देने की कवायद के अनुरूप है. इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और भूटान के चौथे नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से मुलाकात करेंगे. प्रधानमंत्री भूटान के अपने समकक्ष शेरिंग टोबगे के साथ भी बातचीत करेंगे.
#WATCH दिल्ली: पारो, भूटान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पारो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। pic.twitter.com/mtLSSXS8AO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 22, 2024
प्रधानमंत्री बनने के बाद 5 दिवसीय यात्रा पर आए थे टोबगे
बता दें कि हाल ही में भूटान के प्रधानमंत्री टोबगे पांच दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे. प्रधानमंत्री बनने के यह उनकी पहली यात्रा थी. अपनी यात्रा के दौरान टोबगे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी. इसके अलावा वे कई इंडस्ट्री के प्रमुखों के साथ बैठक भी की थी. 14 मार्च को पीएम मोदी से मुलाकात करने के बाद तोगबे ने उन्हें भूटान यात्रा के लिए आमंत्रित किया था. जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीकार भी किया था.
भारत-भूटान का रिश्ता ऐतिहिसक तौर पर रहा है खास
भारत और भूटान का रिश्ता हमेशा से खास रहा है. दोनों देश ऐतिहासिक रूप से भी एक दूसरे के बेहद करीब रहे हैं. भारत ने भूटान की विदेश नीति में कभी दखलंदाजी नहीं की है.
व्यापार और राजनयिक मामले में दोनों देश एकसाथ
भारत और भूटान का रिश्ता हमेशा से खास रहा है. दोनों देश ऐतिहासिक रूप से भी एक दूसरे के बेहद करीब रहे हैं. भारत ने भूटान की विदेश नीति में कभी दखलंदाजी नहीं की है. आठ लाख की आबादी वाले भूटान की गुटनिरपेक्ष नीति को मानता है. भूटान के अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस के साथ राजनयिक संबंध नहीं हैं. भारत-भूटान में विदेश नीति, सुरक्षा और व्यापार को लेकर 1949 में संधि हुई थी. हालांकि 2007 में विदेश नीति का प्रावधान हटा दिया गया. जिसके बाद अब भारत, भूटान का सबसे बड़ा आर्थिक और राजनयिक साथी है.
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