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अमेठी वाली लड़ाई संसद मे आई, राहुल के वार पर स्मृति के पलटवार की असली वजह!

No Confidence Motion: इस बार राहुल अमेठी से लड़ेंगे या नहीं ये कहना मुश्किल है क्योंकि ये तय माना जा रहा है कि असली लड़ाई दक्षिण से होगी और कांग्रेस यहीं जोर लगाएगी.

smriti irani

स्मृति ईरानी व राहुल गांधी

No Confidence Motion: आज सत्र की शुरूआत से ही राहुल गांधी के भाषण का इंतजार किया जा रहा था. राहुल का अंदाज बहुत बदला हुआ दिखाई दिया. उनके भाषण में आज सत्ता पक्ष कमियों की भी तलाश कर रहा होगा. इसके बावजूद ये कहना गलत नहीं होगा कि राहुल का अंदाज पहले से बेहतर दिखाई पड़ा. राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा से बात शुरू कर मणिपुर पर बात खत्म की. उनकी कई बातें बहुत करारे हमले की तरह दिखाई पड़ती हैं. मैं मोदी जी की जेलों में जाने से नहीं डरता, मणिपुर में भारत मां की हत्या की गई है और ऐसे ही कई अन्य बयान सुनने को मिले. इन सब बयानों के बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष के अन्य सांसदों के बीच लगातार नोंकझोंक चलती रही. सबसे दिलचस्प पहलू ये है कि जब भी राहुल बोलते हैं तो जवाब देने के लिए बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को आगे किया जाता है.

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी स्मृति ईरानी विरोध में बहुत मुखर रही थीं. आज राहुल पर पलटवार करते हुए स्मृति इरानी ने कश्मीरी पंडितों का मुद्दा, सिक्खों का मुद्दा, निर्भया का मुद्दा और कई अन्य घटनाओं को सामने रख दिया. राजस्थान के भीलवाड़ा की घटना पर भी गहमा गहमी हुई. जब राहुल बोल रहे थे तब भी उनसे राजस्थान पर बोलने के लिए सत्ता पक्ष के सांसद बीच में बोल रहे थे.

राहुल ने कहा कि वो राजस्थान जा रहे हैं और भाषण समाप्त करते ही वो निकल भी गए. स्मृति ईरानी राहुल के खिलाफ एक प्रतीक तौर पर उभर कर सामने आई हैं. उन्होंने राहुल के खिलाफ दो बार चुनाव लड़ा एक बार हारी, तो पिछली बार ऐतिहासिक जीत दर्ज करने में कामयाब रही. खैर चुनावी राजनीति में दिग्गजों की हार जीत भी कोई नई बात नहीं है, लेकिन राहुल के खिलाफ बीजेपी स्मृति को कई वजहों से आगे रखती है. पहली बात तो ये कि वो राहुल को लोकसभा चुनाव में हराने वाली दमदार नेता के तौर पर उभरकर सामने आईं. दूसरी बात ये कि वो प्रखर वक्ता के तौर पर भी खुद को स्थापित करने में कामयाब रही हैं, तीसरी और महत्वपूर्ण बात ये है कि राहुल और कांग्रेस को ये संकेत दिया जा सकते कि वो पीएम मोदी से टकराने से पहले स्मृति इरानी से तो जीतकर दिखाएं.

राहुल के तेवर और कांग्रेस की तैयारी देखकर ये तो स्पष्ट है कि इस बार भी कांग्रेस अपना पूरा जोर राहुल के चेहरे पर लगा रही है. राहुल भी पहले से बदले हुए दिखाई देते हैं. उनकी हाजिर जवाबी और छवि दोनों में सकारात्मक बदलाव आया है. भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण की तैयारी भी वो कर रहे हैं. इन सबके बीच स्मृति इरानी उन्हें कई बार अमेठी आकर लड़ने की चुनौती दे चुकी हैं. अमेठी और आस-पास की सीट पर मैंने काफी कवरेज किया है. ये एक समय कांग्रेस का परंपरागत गढ़ था लेकिन स्मृति इरानी ने यहां जमीन पर बहुत काम किया है. वो एक-एक गली कूचे से वाकिफ हैं. स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से उनका सतत संपर्क रहता है और वो काफी समय यहां बिताती हैं.

इस बार राहुल अमेठी से लड़ेंगे या नहीं ये कहना मुश्किल है क्योंकि ये तय माना जा रहा है कि असली लड़ाई दक्षिण से होगी और कांग्रेस यहीं जोर लगाएगी. लिहाजा राहुल दोबारा अपनी वायनाड सीट पर ही लड़ते दिखाई देंगे. हां, पिछली बार की तरह वो दो सीटों से लड़ते हैं या नहीं इस पर सवाल बना रहेगा. आज सदन में एक बार फिर राहुल के वार पर पलटवार करने के लिए स्मृति इरानी ही सबसे पहले सामने आईं. उन्होंने राहुल की गिनाई कमियों के नहले पर पीएम मोदी की उपलब्धियों का दहला खेल दिया. राहुल का अंदाज भी आज बहुत जुदा दिखाई दिया. राहुल यदि अपनी इस छबि को बनाए रखते हैं और अमेठी में भारत जोड़ो यात्रा जैसा कोई प्रयोग करते हैं तो मुकाबला एक बार फिर दिलचस्प हो सकता है. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि राहुल को पूरे देश का चेहरा बनाया जा रहा है तो किसी एक सीट के लिए शायद बहुत जद्दोजेहद न की जाए. वैसे भी अखिलेश के अमेठी दौरों और उनकी यहां बढ़ते दखल के बाद माना जा रहा है कि सपा भी यहां से जोर लगा सकती है. गौर करने वाली बात है कि फिलहाल तो सपा और कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन में चुनाव लड़ते दिखाई दे रहे हैं.

-भारत एक्सप्रेस



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