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घोसी को मिली पहली बार BJP महिला जिलाध्यक्ष, लोकसभा में यह बदलाव कितना कारगर होगा?

UP Politics: जिलाध्यक्ष बनने के बाद नूपुर अग्रवाल के सामने 2024 के लोकसभा चुनाव में BJP के प्रत्याशी को विजय दिलाना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी.

nupur agrawal

नुपूर अग्रवाल

Mau News: देश की नई संसद में महिलाओं को आरक्षण देने का बिल बहुमत से पास हो गया जिसके बाद राजनैतिक तौर पर सक्रिय महिला नेताओं में उत्साह साफ तौर पर देखा जा सकता है.

अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश भाजपा ने अपने नये जिलाध्यक्षों की सूची जारी की थी जिसमें कई जिलों की कमान महिला नेताओं को सौंपी गई. हाल ही घोसी उपचुनाव की वजह से सुर्खियों में रहे मऊ जिले की कमान भी एक महिला नेत्री को सौंपी गई. मऊ जनपद में पहली बार किसी दल ने किसी महिला नेता को जिलाध्यक्ष बनाया है. ऐसे में महिलाओं का रुझान किस दल की तरफ अधिक होता है, यह भी चुनावी नतीजों पर प्रभाव डालने वाला होगा.

नये दौर की भाजपा में समय से अधिक प्रभाव को तरजीह

मऊ जनपद में भाजपा जिलाध्यक्ष बनीं नूपुर अग्रवाल के परिवार का जरुर भाजपा से लम्बे समय से जुड़ाव रहा हो, लेकिन उनका भाजपा से बहुत पुराना नाता नहीं रहा है, हाँ यह जरूर है कि पिछले कुछ कार्यकाल में वह पदाधिकारी रहीं हैं और ऐसा ही कुछ पूर्व जिलाध्यक्षो के चयन में भी हुआ था इसलिए भाजपा में पद पाने के लिए पुराना भाजपाई होने के अपेक्षा प्रभावशाली होना ज्यादे प्रभावी एवं कारगर साबित होते नज़र आ रहा है.

घोसी लोकसभा क्षेत्र वाले मऊ जिले में भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए रेस में लगे दर्जनों वरिष्ठ पुरुषों के बीच में महिला नुपूर अग्रवाल को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भारतीय जनता पार्टी के मेन बॉडी का जिलाध्यक्ष बनाकर मऊ में एक अलग ही संदेश दिया. अब तक के इतिहास में सपा, बसपा व कांग्रेस किसी भी महिला को यह जिम्मेदारी नहीं दी है.

घोसी लोकसभा चुनाव को कितना प्रभावित करेगा यह फैसला?

जिलाध्यक्ष बनने के बाद नूपुर अग्रवाल के सामने 2024 के लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को विजय दिलाना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी, अगर 2024 में भाजपा का कमल घोसी में खिला तो उनका भारतीय जनता पार्टी में क़द और बढ़ना तय है. नूपुर अग्रवाल के जाति के मतदाता वैसे तो परम्परागत तौर पर भाजपा के मतदाता हैं लेकिन लम्बे समय से प्रतिनिधित्व न मिलने की वजह से उस जाति के मतदाता अन्य दलों में संभावनाएँ तलाशने लगे थे ऐसे में भाजपा ने अपने से दूर हो रहे मतदाताओं पर पकड़ मजबूत करने के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण कदम उठाया है. वहीं नूपुर अग्रवाल का सामाजिक तौर पर सक्रिय रहीं हैं जिसका लाभ भी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है और उनका महिलाओं से जुड़ाव भी चुनाव को प्रभावित करेगा.

ओमप्रकाश राजभर और दारा कितने होंगे प्रभावी?

हाल ही घोसी उपचुनाव में ओमप्रकाश राजभर और दारा चौहान का जादू काम नहीं आ सका और यह लोग अपनी जातियों के वोटों को भी नहीं सहेज पाये. लेकिन लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभाव के चलने इन नेताओं के प्रभाव के बढ़ने की भी उम्मीद की जा सकती है.

-भारत एक्सप्रेस



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