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क्या है भारत का ‘प्रोजेक्ट जोरावर’? LAC पर अब चीन की खैर नहीं!

भारतीय सेना ने जो टैंक तैनात किए हैं वे भारी हैं. 45-70 टन के रूसी टी -72 या टी -90 या स्वदेशी अर्जुन टैंक को रेगिस्तान और मैदानी इलाकों में काम कर रहे हैं. प्रोजेक्ट ज़ोरावर के तहत हल्के टैंक लगभग 25 टन के होने की उम्मीद है.

Project Zorawar

Project Zorawar

Project Zorawar: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध जारी रहने के बीच रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में प्रोजेक्ट जोरावर को मंजूरी दी थी. पहाड़ों की चोटियों पर चीनी सैनिकों से मुकाबला के लिए भारत हलके टैंकों के निर्माण पर खासा ध्यान दे रहा है. इस दिशा से भारत ने कई कदम उठाए हैं. इसके लिए अमेरिकी कंपनी से साझेदारी की गई है. अब अमेरिकी कंपनी कमिंस के साथ मिलकर भारत बेहद हल्के टैंकों का निर्माण कर रहा है. इस हल्के टैंक का नाम जोरावर रखा गया है. इसे लद्दाख और अरुणाचल में शिफ्ट किया जाएगा. जोरावर का डिजाइन स्वदेशी है. इस विकसित टैंक का उद्देश्य उभरते खतरों और युद्ध चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सेना के बख्तरबंद विंग को आधुनिक बनाना है.

कौन था जोरावर ?

सैन्य जनरल ज़ोरावर सिंह कहलुरिया ने जम्मू के राजा गुलाब सिंह के अधीन काम किया था. 19वीं शताब्दी में सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी के आधार पर उन्होंने चीनी सेना को हराया था. इस टैंक को विभिन्न इलाकों में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसे ऊंचाई वाले क्षेत्र (HAA) से लेकर द्वीप क्षेत्रों और सीमांत इलाके तक तेजी से तैनात किया जा सकता है. 2020 में चीनी सैनिकों की आक्रामकता के बाद सेना को इन टैंकों की आवश्यकता महसूस हुई.

अभी टी72 जैसे भारी टैंक की है तैनाती

भारतीय सेना ने जो टैंक तैनात किए हैं वे भारी हैं. 45-70 टन के रूसी टी -72 या टी -90 या स्वदेशी अर्जुन टैंक को रेगिस्तान और मैदानी इलाकों में काम कर रहे हैं. प्रोजेक्ट ज़ोरावर के तहत हल्के टैंक लगभग 25 टन के होने की उम्मीद है.

पूर्वी लद्दाख में चीन के करीब का इलाका कठिन है. यहां तक पहुंचने के लिए सेना के जवानों को कई दर्रों से गुजरना पड़ता है और ऐसी स्थिति में ऑपरेशन के दौरान आवश्यकता पड़ने पर टी-72 और अन्य जैसे भारी टैंक उस स्थान तक नहीं पहुंच सकते हैं. इसलिए अब हल्के टैंक जोरावर का निर्माण किया जा रहा है. अब चीन की खैर नहीं.

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जोरावर में होगा AI वाला ड्रोन

सूत्रों के मुताबिक इन टैंकों में भारी टैंकों के समान मारक क्षमता होगी और इनमें AI से लैस ड्रोन होने की उम्मीद है. अपने हल्के वजन के कारण ये टैंक ऊंचे पहाड़ों से दर्रे तक आसानी से जा सकते हैं. जहां चीन ने पहले ही पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर हल्के टैंक तैनात कर दिए हैं, वहीं भारतीय सेना ने टी-72 टैंक तैनात कर दिए हैं. हालांकि, सेना अब तेजी से तैनाती के लिए प्रोजेक्ट ज़ोरावर के तहत हल्के टैंक हासिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

-भारत एक्सप्रेस



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