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जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने की गाजा के अस्पताल पर हमले की निंदा, कहा- इजरायल ने 1 हजार निर्दोषों की जानें ली

Gaza hospital Bombing: गाजा के अस्‍पताल में हुए ब्‍लास्‍ट में 500 लोगों की जान चले जाने की खबर पर भारतीय मुस्लिमों के संगठन जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने इजरायल को कोसा है. जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने देशभर के मुस्लिम नेताओं के साथ एक संयुक्‍त बयान जारी किया.

Jamaat-e-Islami Hind

जमीयत ए इस्लामी हिंद के पदाधिकारी.

Gaza hospital Attack : पश्चिमी एशिया में छिड़ी इजरायल और हमास की जंग में अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है. कल गाजा एक बड़े अस्पताल पर अचानक भीषण हमला हुआ, जिसमें 500 से ज्‍यादा लोगों की जानें चली गईं. हमास और इस्‍लामिक मुल्‍कों ने इसका आरोप इजरायल पर लगाया है. वहीं, भारतीय इस्‍लामिक संगठन जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने भी इस भयावह हमले की निंदा की है.

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने अपने बयान में कहा, ”जमाअत-ए-इस्लामी हिंद इजराइल द्वारा गाजा के अस्‍पताल पर किए गए क्रूर हमले की निंदा करता है. इन हमलों में लगभग एक हजार लोगों की जानें गयीं हैं, जिनमें बहुत-से महिलाएं और बच्चे शामिल थे.” मीडिया को जारी बयान में जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा, “हम सेंट्रल गाजा में अल-अहली अस्पताल पर जघन्य बमबारी की निंदा करते हैं और उसके खिलाफ आक्रोश व्‍यक्‍त करते हैं. वहां अस्पताल पर बमबारी में लगभग 1000 लोगों की जान गई है. इस बमबारी से पहले अस्पताल को इज़रायली सेना से निकासी के आदेश का सामना करना पड़ रहा था.

‘अस्‍पताल पर हमला नरसंहार और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध’

सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा, “हमारी जमाअत की दृष्टि में ये नरसंहार और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है. इज़रायली सेनाएँ सभी युद्ध कानूनों और बुनियादी मानवीय मूल्यों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए लगातार स्कूलों और अस्पतालों को निशाना बना रही हैं. मूक दर्शक बने रहने वाले शक्तिशाली देश और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ जघन्य युद्ध अपराधों से खुद को मुक्त नहीं कर सकते. उनके हाथों पर फिलिस्तीन के निर्दोष पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का खून है.

‘नरसंहार को न रोका गया तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा’

जमाअत के अमीर ने कहा, “हम क्षेत्र में तत्काल युद्धविराम लागू करने और गाजा के नागरिक क्षेत्रों पर जानबूझकर की गई बमबारी की निंदा करने की मांग करते हैं. इजरायली कृत्यों को बख्शा नहीं जाना चाहिए और उसके राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व को संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा हाल ही में किए गए विभिन्न युद्ध अपराधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमे का सामना करने के लिए लाया जाना चाहिए. मानवता परीक्षण पर है. यदि हम फ़िलिस्तीनियों को विफल करते हैं और वर्तमान नरसंहार को नहीं रोकते हैं, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा.”

‘फिलिस्तीनियों के अधिकारों की बहाली को विश्वसनीय बनाया जाये’

वहीं, फिलिस्तीनी मसले पर कई मुस्लिम रहनुमाओं ने संयुक्त बयान जारी किया, उन्‍होंने कहा कि फिलिस्तीनियों के अधिकारों की बहाली को विश्वसनीय बनाया जाये. बयान में कहा गया, ”हम फिलिस्तीन विशेषकर गाज़ा के सूरतहाल पर दुख जताते हैं. वहां निर्दोष इंसानी जानों, यहां तक कि बच्चों और महिलाओं की लगातार हलाकत, खाना, पानी, दवा और बिजली की आपूर्ति का ठप होना और शहरी इलाक़ों पर लगातार बमबारी और गाज़ा को ख़ाली करने की कोशिशों की हम पुरज़ोर निन्दा करते हैं. हम यह याद दिलाना चाहते हैं कि यहूदी हकूमत विगत 70 वर्षों से लगातार फिलिस्तीनियों को उनके घरों और ज़मीनों से बेदख़ल कर रही है और उस ज़मीन के मूल वासियों अर्थात फिलिस्तीनियों पर लगातार नृशंस जुल्म ढा रही है.”

देशभर के मुस्लिम नेताओं ने जारी किया यह संयुक्‍त बयान

मौलाना ख़लिद सैफुल्लाह रहमानी, सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, मौलाना सैयद अरशद मदनी, मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ कछौछवी,मौलाना अबुलक़ासिम नोमानी,मौलाना असग़र अली इमाम मेंहदी, जनाब सैयद अहमद वली फैसल रहमानी, मौलाना सैयद तनवीर हाशमी, डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम खां, डॉक्टर मुफ्ती मुकर्रम अहमद, डॉक्टर मोहम्मद मनज़ूर आलम और इमाम शिया जामा मस्जिद के मौलाना मोहसिन तक़वी ने संयुक्‍त बयान में कहा कि तमाम अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करते हुए फिलिस्तीनी इलाक़ों में नयी बस्ती को बसाने और मस्जिद अल-अक़्सा का लगातार अपमान और इस तरह की अन्य आक्रामक नितियां इलाक़े में शांति के मार्ग में सबसे बड़ी रुकावट हैं. ये बहुत जरूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सक्रिय हो और इस रक्तपात के सिलसिले को रोके.

‘फिलिस्तीनी अवाम को उनके वैध अधिकारों को दिलाया जाए’

मुस्लिम रहनुमाओं ने कहा, ”इस इलाक़े में स्थायी शांति के लिए अति आवश्यक है कि फिलिस्तीनी अवाम के अधिकारों की बहाली और इस इस सिलसिले में अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों की स्थापना को यक़ीनी बनाया जाए. हम सत्ता पर बैठे लोगों से भी मांग करते हैं कि हिन्दुस्तान के बहुप्रतीक्षित साम्रराज्यवाद विरोधी और मैत्रीपूर्ण फिलिस्तीनी वैदेशिक नीति, जिसकी गांधी जी से लेकर वाजपेयी जी तक ने भी वकालत की है, उसको जारी रखते हुए वे फिलिस्तीनी अवाम को उनके वैध अधिकारों को दिलाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें.”

— भारत एक्सप्रेस

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