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Mathura: “कानून का मजाक बना दिया है”, शाही ईदगाह पर सर्वे के फैसले से बौखलाए ओवैसी, कहा- मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा

Asaduddin Owaisi: Aimim अध्यक्ष ओवैसी ने आगे कहा कि मथुरा विवाद दशकों पहले मस्जिद समिति और मंदिर के ट्रस्ट के बीच आपसी सहमति से सुलझाया गया था. इन विवादों को एक नया गुट उछाल रहा है.

असदुद्दीन ओवैसी

Krishna Janmabhoomi Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद पर बड़ा फैसला दे दिया है. कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के कोर्ट कमीशन सर्वे की मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही ईदगाह कमेटी और वक्फ बोर्ड की दलीलों को खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) बौखला गए हैं. उन्होंने कोर्ट के फैसले के बाद सवाल उठाते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना कर रख दिया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ट्वीट करते हुए लिखा कि-  इलाहाबाद HC ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति दे दी है. बाबरी मस्जिद फैसले के बाद, मैंने कहा था कि इससे संघ परिवार की शरारतें बढ़ेंगी. यह पूजा स्थल अधिनियम (Places of Worship Act) के बावजूद ऐसी मुकदमेबाजी हो रही है.

Aimim अध्यक्ष ओवैसी ने आगे कहा कि मथुरा विवाद दशकों पहले मस्जिद समिति और मंदिर के ट्रस्ट के बीच आपसी सहमति से सुलझाया गया था. इन विवादों को एक नया गुट उछाल रहा है. चाहे वह काशी हो, मथुरा हो या लखनऊ की टीले वाली मस्जिद, यह एक ही समूह है. कोई भी उस समझौते को यहां पढ़ सकता है, जिसे अदालत के समक्ष तय किया गया था.

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‘कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है’

असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि पूजा स्थल अधिनियम अभी भी लागू कानून है. लेकिन इस ग्रुप ने कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है. सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर 9 जनवरी को सुनवाई करनी थी, तो ऐसी क्या जल्दी थी कि हाइकोर्ट को सर्वे का आदेश देना पड़ा? उन्होंने आगे कहा कि जब एक पक्ष लगातार मुसलमानों को निशाना बनाने में रुचि रखता है तो कृपया “देना और लेना” यानी कि लेन-देन का उपदेश न दें, लेकिन कानून अब कोई मायने नहीं रखता. मुसलमानों से उनकी अस्मत लूटना ही अब एकमात्र लक्ष्य है.

– भारत एक्सप्रेस



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