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निजी संपत्ति को समुदाय का भौतिक संसाधन मानने वाली 32 साल पुरानी याचिका पर SC में सुनवाई, पढ़ें क्या है पूरा मामला

निजी संपत्ति को समुदाय का भौतिक संसाधन मानने को लेकर 32 साल पुरानी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सीजेआई की अध्यक्षता वाली 9 जजों की संविधान पीठ 25 अप्रैल को भी सुनवाई जारी रखेगी.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

निजी संपत्ति को समुदाय का भौतिक संसाधन मानने को लेकर 32 साल पुरानी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सीजेआई की अध्यक्षता वाली 9 जजों की संविधान पीठ 25 अप्रैल को भी सुनवाई जारी रखेगी. मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने पुरानी और जर्जर हो चुकी असुरक्षित इमारतों को अधिगृहित करने के लिए एक कानून बनाया है.

समुदाय के भौतिक संसाधन हैं- SC

कोर्ट ने कहा कि यह कानून इसलिए बनाया गया है, क्योंकि किरायेदार इन इमारतों से हट नहीं रहे और मकान मालिकों के पास मरम्मत के लिए पैसे नहीं हैं. सीजेआई ने कहा कि तकनीकि रूप से ये स्वतंत्र स्वामित्व वाली संस्थाएं हैं, लेकिन कानून का कारण क्या था. कोर्ट इस बात पर विचार कर रही है कि निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39 (B) के तहत समुदाय का भौतिक संसाधन माना जा सकता है या नहीं. सीजेआई ने समुदाय में स्वामित्व और एक व्यक्ति के अंतर का उल्लेख करते हुए कहा कि वे निजी खदानें हो सकती है, लेकिन व्यापक अर्थ में ये समुदाय के भौतिक संसाधन हैं.

वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के सामने एकमात्र सवाल अनुच्छेद 39 (B) की व्याख्या का था, न कि अनुच्छेद 31(C) का, जिसकी वैधता 1971 में 25वे संवैधानिक संशोधन से पहले अस्तित्व में थी. इसे केशवानंद भारती मामलों में 13 न्यायधीशों की पीठ ने बरकरार रखा है. सीजेआई ने इसपर सहमति जताते हुए बताया कि अनुच्छेद 39 (B) की व्याख्या 9 जजों की पीठ द्वारा करने की आवश्यकता क्यों पड़ी.

समुदाय के भौतिक संसाधनों में निजी संपत्ति शामिल नहीं

हालांकि 1977 में रंगनाथ रेड्डी मामले में बहुमत ने स्पष्ट किया है कि समुदाय के भौतिक संसाधनों में निजी संपत्ति शामिल नहीं है. 1983 में संजीव कोक में 5 जजों की पीठ ने जस्टिस अय्यर पर भरोसा किया इस बात को नजरअंदाज करते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यक दृष्टिकोण था. कोर्ट ने पूछा कि 1960 के दशक में अतिरिक्त कृषि भूमि गरीब किसानों के बीच कैसे वितरित की गई. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सामुदायिक संसाधनों में कभी भी निजी स्वामित्व वाली संपत्तियां शामिल नहीं हो सकती हैं.

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उन्होंने जस्टिस अय्यर के दृष्टिकोण को मार्क्सवादी समाजवादी नीति का प्रतिबिंब बताया, जिसका नागरिकों के मौलिक अधिकारों का प्रधानता देने वाले संविधान द्वारा शासित लोकतांत्रिक देश मे कोई स्थान नहीं है. दरअसल संविधान के अनुच्छेद 39 (B) में प्रावधान है कि राज्य अपनी नीति को यह सुनिश्चित करने की दिशा में निर्देशित करेगा कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाए जो आम लोगो की भलाई के लिए सर्वोत्तम हो.

-भारत एक्सप्रेस



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