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दिल्ली हाईकोर्ट ने गूगल और माइक्रोसॉफ्ट को समीक्षा याचिका दायर करने का दिया आदेश, जानें क्या है मामला

दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने 26 अप्रैल 2023 को एकल न्यायाधीश द्वारा पारित फैसले के खिलाफ दोनों कंपनियों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.

Delhi High Court

दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने तकनीकी कंपनियों गूगल और माइक्रोसॉफ्ट से एक समीक्षा याचिका दायर करने को कहा, जिसमें एकल-न्यायाधीश के उस आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी, जिसमें सर्च इंजनों को विशिष्ट पर जोर दिए बिना इंटरनेट से गैर-सहमति वाली अंतरंग छवियों (एनसीआईआई) को सक्रिय रूप से हटाने का निर्देश दिया गया था. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने 26 अप्रैल 2023 को एकल-न्यायाधीश द्वारा पारित फैसले के खिलाफ दो तकनीकी कंपनियों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.

पीठ ने कहा इस न्यायालय का विचार है कि अपीलकर्ताओं (माइक्रोसॉफ्ट और गूगल) के लिए समीक्षा दायर करना और तथ्यों को एकल-न्यायाधीश के सामने लाना उचित होगा. इस घटना में अपीलकर्ता एकल-न्यायाधीश के आदेश से व्यथित हैं. पीठ ने स्पष्ट किया कि एकल न्यायाधीश देरी के आधार पर दोनों कंपनियों द्वारा दायर समीक्षा याचिकाओं को खारिज नहीं कर सकते. सर्च इंजन बिंग और गूगल के मालिक माइक्रोसॉफ्ट ने न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद द्वारा पारित फैसले के खिलाफ अपील दायर की है.

एक विस्तृत फैसले में, न्यायमूर्ति प्रसाद ने सोशल मीडिया मध्यस्थों को चेतावनी दी थी कि यदि गैर-सहमति वाले अंतरंग को हटाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों (आईटी नियमों) के तहत प्रदान की गई समय-सीमा में मामूली विचलन भी होता है, तो वे दायित्व से अपनी सुरक्षा खो देंगे. न्यायमूर्ति प्रसाद ने माना था कि खोज इंजनों के पास एनसीआईआई सामग्री को हटाने के लिए पीड़ित को बार-बार अदालतों या अन्य अधिकारियों से संपर्क करने की आवश्यकता के बिना तकनीक मौजूद है.

एकल-न्यायाधीश ने कहा था कि जब ऐसी अवैध सामग्री वाले लिंक को हटाने या उन तक पहुंच को अक्षम करने की बात आती है तो खोज इंजन असहायता का दिखावा नहीं कर सकते. माइक्रोसॉफ्ट और गूगल ने आज तर्क दिया कि एकल-न्यायाधीश द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना उनके लिए तकनीकी रूप से असंभव है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) उपकरण भी इस कार्य को करने के लिए सही नहीं हैं और प्रौद्योगिकी अभी भी विकसित की जा रही है.

गूगल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद निगम ने कहा कि जो चीज मानव आंख के समान दिखाई दे सकती है, वह स्वचालित एल्गोरिदम के बिल्कुल समान नहीं हो सकती है. निगम ने कहा यह रिज़ॉल्यूशन, कॉन्फ़िगरेशन, वॉटरमार्क आदि पर निर्भर करता है. मैंने यह सब बताते हुए एकल-न्यायाधीश के समक्ष हलफनामा दायर किया था, लेकिन तर्क खारिज कर दिया गया. माइक्रोसॉफ्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने कहा कि प्रौद्योगिकी विकसित हो रही है लेकिन यह अभी भी उस चरण तक नहीं पहुंची है जहां यूआरएल की आवश्यकता के बिना खोज इंजन द्वारा एनसीआईआई छवियों को हटाया जा सके.

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-भारत एक्सप्रेस



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