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UP News: रोडवेज की एसी वॉल्वो-स्कैनिया बसें बंद होने की कगार पर, ये वजह आई सामने

रोडवेज अधिकारियों ने इन बसों को यात्रियों की पसंद का बनाने के लिए मंथन शुरू कर दिया है. कभी इन बसों की संख्या 175 थी तो अब केवल 17 ही रोड पर चल रही हैं.

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सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

UP News: उत्तर प्रदेश में रोडवेज की एसी वॉल्वो-स्कैनिया बसें बंद होने की कगार पर पहुंच गई हैं. जहां इन बसों की संख्या 175 थी तो वहीं अब केवल 17 ही रोड पर चल रही हैं.

खबर सामने आ रही है कि इन बसों को प्राइवेट लग्जरी बसों से कड़ी टक्कर मिल रही है. इसकी वजह से यात्री नहीं मिल रहे हैं. ये वजह सामने आने के बाद से रोडवेज अधिकारियों ने इन बसों को यात्रियों की पसंद का बनाने के लिए मंथन शुरू कर दिया है और कहा जा रहा है कि अब अनुबंधित बसों के लिए नियम व शर्तों को काफी सरल बनाने की कवायद की जा रही है.

यही नहीं रोडवेज के बेड़े में शामिल इन बसों में यात्रियों के घटने को लेकर परिवहन निगम प्रशासन की लापरवाही भी सामने आई है. कहा जा रहा है कि प्रशासन ने यात्रियों की संख्या बढ़ाने पर विचार नहीं किया. तो वहीं ये भी खबर सामने आई कि अनुबंधित बस योजना की नीति में बढ़ते प्रशासनिक शुल्क और कम होती आय के कारण निजी बस ऑपरेटर निगम से दूरी बनाने लगे हैं. इस पर यात्री अन्य प्राइवेट बस ऑपरेटरों की बसों में ऑनलाइन सीट बुक करवाकर यात्रा करने लगे. इन सब वजहों के चलते अब ये बसें बंदी की कगार पर पहुंच गई हैं.

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गाजियाबाद में चल रही हैं केवल 2 ही बसें

बता दें कि करीब 175 एसी लग्जरी बसों में से अब केवल 17 बसें ही सड़क पर दौड़ रही हैं. लखनऊ से 11, प्रयागराज से 4 और गाजियाबाद से 2 बसों का संचालन किया जा रहा है. बाकि अन्य शहरों से वॉल्वो बस सेवाएं बंद हो चुकी हैं और उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन की पहचान बनाने वाली नीले रंग की एसी वॉल्वो बसें और सवा करोड़ वाली हाई एंड लग्जरी स्कैनिया बसें अब अपनी पहचान को मोहताज हो गई हैं.

अब चल रही है ये कवायद

बता दें कि यूपी में आम जनता की सुविधा के लिए 2022 में एसी लग्जरी अनुबंधित बस योजना लॉन्च की गई थी. रोडवेज के प्रवक्ता अजीत कुमार ने बताया कि नई अनुबंधित बस योजना में नियम व शर्तों को सरल बनाया जा रहा है. तो वहीं ये भी जानकारी सामने आई कि नियम व शर्तों के अनुसार आय कम होने पर कटौती, शिकायतों पर सुनवाई नहीं होने और प्रशासनिक शुल्क में मनमानी की वजह से निजी बस ऑपरेटरों ने टेंडर में हिस्सा नहीं लिया.

-भारत एक्सप्रेस



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