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आंध्र प्रदेश की सत्ता अब चंद्रबाबू नायडू के पास, पीएम मोदी ने भी की बात, लोकसभा चुनाव में बड़ी सफलता की ओर

पांच साल बाद सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर नायडू की पार्टी ने वापसी की है. अभिनेता-राजनेता पवन कल्याण की जन सेना पार्टी और भाजपा के साथ उनके गठबंधन ने राज्य की राजनीति में पासा पलट दिया.

N. Chandrababu Naidu (नारा चंद्रबाबू नायडू)

आंध्र प्रदेश सीएम चंद्रबाबू नायडू. (फाइल फोटो)

अपने से कम उम्र के जगन मोहन रेड्डी से निराशाजनक हार मिलने के पांच साल बाद तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू इस चुनाव में अपनी पार्टी को आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत की ओर ले जाते दिख रहे हैं. राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनसेना पार्टी भी उनके साथ गठबंधन में हैं.
मतगणना के ताजा आंकड़ों के अनुसार तेदेपा 175 सदस्यीय विधानसभा में दो सीट पर जीत हासिल कर चुकी है और 130 पर आगे है, वहीं उसकी सहयोगी भाजपा सात पर और जनसेना पार्टी 20 सीट पर आगे हैं। निवर्तमान विधानसभा में तेदेपा के 23 सदस्य हैं.

9 जून को आंध्र प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में ले सकते हैं शपथ

वहीं मिली जानकारी के अनुसार तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू 9 जून को आंध्र प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं. पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी. 74 वर्षीय नायडू चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. वह 1995 से 2004 तक संयुक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे. वह 2014 में विभाजन के बाद शेष आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन 2019 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के हाथों टीडीपी को अपमानजनक हार झेलनी पड़ी. पांच साल बाद सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर पार्टी ने वापसी की है. अभिनेता-राजनेता पवन कल्याण की जन सेना पार्टी (जेएसपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ उनके गठबंधन ने राज्य की राजनीति में पासा पलट दिया.

नायडू ने की शानदार वापसी 

बता दें कि पिछले साल सितंबर में नायडू को स्किल डेवलेपमेंट घोटाले में राज्य की सीआईडी ने गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन्होंने खुद को फिर से राजनीतिक रूप से साबित किया है. आंध्र प्रदेश में अलग-अलग समय पर 13 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान कई कीर्तिमान रच चुके नायडू को आईटी क्षेत्र में अपने राज्य को अग्रणी स्थान पर ले जाने का श्रेय दिया जाता है तथा वह राज्य ही नहीं केंद्र की राजनीति के भी कुशल रणनीतिकार रहे हैं. नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे को लेकर मार्च, 2018 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़ लिया था, लेकिन वर्ष 2019 के विधानसभा व लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार ने उन्हें सियासी नेपथ्य में धकेल दिया.

भाजपा से गठबंधन

ठीक छह साल बाद मार्च, 2024 में नायडू ने राजग में वापसी की और आंध्र प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनसेना के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा. गठबंधन के तहत प्रदेश की कुल 175 विधानसभा सीट में से तेदेपा 144, जनसेना 21 और भाजपा 10 सीट पर चुनाव लड़ी. राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन में होने के बावजूद मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दे पर नायडू ने अपना अलग रुख रखा और मुस्लिम आरक्षण की पैरवी की. उन्होंने खुलकर कहा, ”हम शुरू से ही मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं और यह जारी रहेगा.’’ हालांकि अपने घोषणापत्र में तेदेपा ने इस मुद्दे से दूरी बना ली.

राजग में लौटने के बाद भले ही नायडू प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हर मौके पर सराहना करते दिखे हों, लेकिन पूर्व में उनके साथ रिश्ते सहज नहीं रहे हैं. नायडू ने 2002 में गुजरात दंगे के बाद मोदी का विरोध किया था. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर नायडू के नाम पर कई कीर्तिमान भी हैं. वह आंध्र प्रदेश के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होंने कई कार्यकाल में 13 साल 247 दिन तक मुख्यमंत्री का पद संभाला है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश के वह ऐसे एकमात्र नेता हैं जिन्होंने अविभाजित और विभाजन (आंध्र से अलग कर तेलंगाना का गठन) के बाद राज्य की बागडोर संभाली.

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सियासी सफर

नायडू का सियासी सफर 1970 के दशक में शुरू हुआ और परास्नातक की पढ़ाई के दौरान वह श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में छात्र संघ के नेता निर्वाचित हुए. इसके बाद वह युवा कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर आंध्र प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) में चले गए. उन्होंने फिल्म अभिनेता और पार्टी संस्थापक एनटी रामा राव की पुत्री भुवनेश्वरी से विवाह किया. नायडू पहली बार 1978 में आंध्र प्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए और मंत्री के रूप में कार्य किया. वर्ष 1995 में, वह अपने ससुर एन टी रामा राव के राजनीतिक तख्तापलट के बाद पहली बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. नायडू 1999 में फिर से मुख्यमंत्री चुने गए और 2004 तक पद पर रहे. आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना का गठन किये जाने के बाद 2014 में वह तीसरी बार राज्य (आंध्र प्रदेश) के मुख्यमंत्री बने. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से करारी हार के बाद तेदेपा सत्ता से बाहर हो गई थी.



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