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अजय राय की याचिका पर SC ने यूपी सरकार को जारी किया नोटिस, पढ़ें क्या है पूरा मामला

हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि चार्जशीट को पहले ही चुनौती दी गई थी और वह याचिका खारिज हो चुकी है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने यूपी सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर 15 जुलाई तक जवाब मांगा है. अजय राय ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. अजय राय ने गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज केस के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर किया था. इस मामले में अजय राय, संतोष राय, चंद्रभूषण दुबे और विजय कुमार पांडे सहित अन्य लोगों के खिलाफ साल 2010 में वाराणसी के चेतगंज थाने में बलवा, मारपीट आदि की धाराओं में केस दर्ज किया गया था. बाद में इसमें गैंगस्टर एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया गया. यह मामला स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण वाराणसी की अदालत में लंबित है.

मुकदमा रद्द करने की मांग की थी

अजय राय व अन्य की तरफ से याचिका दायर कर मुकदमे की कार्यवाही खत्म करने की मांग की गई थी. कहा गया था कि उनका शिकायतकर्ता से समझौता हो गया है. समझौते के आधार पर दर्ज मुकदमे को रद्द करने की मांग की गई है. हाई कोर्ट में याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इसी प्रकरण में अभियुक्तों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी मुकदमा दर्ज किया गया है. इसे समझौते के आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता है. साथ ही यह भी कहा गया था कि अजय राय का आपराधिक इतिहास है और उनपर 27 मुकदमे दर्ज हैं. मुकदमे का ट्रायल पूरा होने वाला है. ऐसे में मुकदमे को रद्द करने का कोई आधार नही है.

हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि चार्जशीट को पहले ही चुनौती दी गई थी और वह याचिका खारिज हो चुकी है. इसलिए मुकदमे की कार्यवाही रद्द करने का कोई वैधानिक आधार नहीं है.

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बता दें कि वाराणसी के एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट में इस मामले में फिलहाल ट्रायल चल रहा है. मामले में पुलिस ने चार्जशीट 28 अक्टूबर 2011 को दाखिल कर दी थी. 2010 में अजय राय और चार अन्य के खिलाफ वाराणसी के चेतगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी. मामले में आईपीसी की धारा 147, 148, 448, 511, 323, 505, 506, 120 बी और सेक्शन 7 आफ क्रिमनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट, और सेक्शन 3(1) यूपी गैंगस्टर एक्ट एंड एन्टी सोशल एक्टिवटीज प्रिवेंशन एक्ट में एफआईआर दर्ज हुई थी. बाद में गैंगस्टर एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया गया था.

-भारत एक्सप्रेस

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