दिल्ली हाई कोर्ट.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक निजी स्कूल को निर्देश दिया कि वह अभिभावकों की ओर से बढ़ी हुई फीस का भुगतान करने से इनकार करने वालों के बच्चों का नाम बढ़े हुए फीस का 50 फीसदी जमा करने के बाद फिर से बहाल कर दे. न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय एवं संबंधित स्कूल द्वारका के दिल्ली पब्लिक स्कूल को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है और सुनवाई 30 जुलाई के लिए स्थगित कर दिया है.
स्कूल ने बढ़े हुए फीस जमा न करने की वजह से लगभग 26 बच्चों का नाम काट दिया था. अभिभावकों ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दिया था और कहा था कि स्कूल ने शिक्षा निदेशालय से अनुमति लिए बगैर फीस बढ़ा दी है, यह अनुचित है. बढ़े हुए फीस जमा न करने की वजह से बच्चों का नाम काट दिया गया है. इसलिए स्कूल से बढ़े हुए फीस न वसूलने को कहा जाए और जिन बच्चों का उस वजह से नाम काटा है उसको फिर से बहाल करने को कहा जाए.
न्यायमूर्ति ने इसके बाद कहा कि फिलहाल किसी पक्ष के अधिकार को प्रभावित किए बगैर जो बच्चे वर्तमान सत्र का 50 फीसदी बढ़े हुए फीस जमा करता है, उसके नाम को फिर से बहाल कर दिया जाए. जिससे उनका वर्तमान सत्र का पढ़ाई बाधित न हो. यह अदालत के अंतिम फैसले के अवलोकन में माना जाएगा. कोर्ट का यह आदेश अभिभावकों की एक याचिका पर आया, जिन्होंने कहा था कि द्वारका के दिल्ली पब्लिक स्कूल ने बढ़ी हुई फीस का भुगतान न करने के कारण उनके बच्चों के नाम काट दिया है.
याचिकाकर्ताओं ने न केवल अपने बच्चों के नाम को तुरंत बहाल करने के निर्देश मांगे, बल्कि स्कूल को शैक्षणिक वर्ष के लिए केवल स्वीकृत फीस लेने का निर्देश देने का भी मांग की है.
याचिका में कहा गया है कि स्कूल प्रशासन को हाईकोर्ट के उस फैसले का सख्ती से पालन करना चाहिए जिसमें कहा गया है कि अभिभावकों से कोई अस्वीकृत शुल्क तब तक नहीं लिया जा सकता जब तक कि इसे शिक्षा निदेशालय से अनुमोदन न मिल जाए. उन्होंने कोर्ट से अधिकारियों को स्कूल की भूमि का आवंटन रद्द करने और कानून के तहत इसका प्रशासन अपने हाथ में लेने का निर्देश देने की भी मांग की है.
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-भारत एक्सप्रेस
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