साउथ एशियन यूनिवर्सिटी का स्टाफ
South Asian University : देश की राजधानी दिल्ली में स्थित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने जलवायु परिवर्तन, हरित परिवर्तन और सततता पर गहन अध्ययन और शोध के लिए एक डेडिकेटेड इंटरडिसिप्लिनेरी सेंटर स्थापित करने क़ा निर्णय लिया है.
यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो. केके. अग्रवाल ने बताया कि सार्क देशों के दृष्टिकोण से इस तरह के एक सेंटर स्थापित करने की लम्बे समय से दरकार थी। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों में जलवायु परिवर्तन का असर सबसे ज़्यादा देखने को मिलता है. इसके असर को कम करने के लिए व्यापक अध्ययन एवं शोध की ज़रूरत है। यह सेंटर इसके मद्देनज़र स्थापित किया जा रहा है.
समस्याओं का निदान के लिए जुटे प्रोफेसर
इस प्रस्तावित सेंटर पर विचार-विमर्श के लिए आज एक बैठक का आयोजन किया गया था इसकी अध्यक्षता प्रो. अग्रवाल ने की. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं की इस तरह की समस्याओं का निदान ढूँढने की बड़ी ज़िम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि सार्क देशी के छात्रों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर एआई, साइक्लोन, भूस्खलन, मत्स्यपालन, इत्यादि जैसे फ़ील्ड में भी सेंटर स्थापित करने की भी योजना है.
जलवायु परिवर्तन के जोखिमों पर ध्यान
इस अवसर पर मौरिसस के पूर्व उच्चायुक्त अनूप के॰ मुदगल ने जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को रेखांकित किया. प्रो. पूरन चन्द्र पांडेय ने भी इस प्रस्तावित सेंटर की रूपरेखा पर प्रकाश डाला.
यह यूनिवर्सिटी आठ सार्क देशों के सहयोग से उन देशों के छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए चलाई जा रही है. दाख़िले में हर देश क़ा अपना कोटा है. अगर किसी देश का कोटा पूरा नहीं होता है तो दूसरे देश के छात्रों से उसे भरा जा सकता है. वर्तमान में आधे छात्र भारत के हैं.
वर्तमान में तक़रीबन 600 छात्र इन देशों के यहाँ अध्यनरत हैं. इसे बढ़ाकर 5,000 करने की योजना है. अभी सिर्फ़ पाँच स्कूल हैं. इसे बढ़ाकर तेरह करने की योजना है.
सौ एकड़ में कैम्पस
यह यूनिवर्सिटी दिल्ली के मैदानगढ़ी में तक़रीबन सौ एकड़ के विशाल कैम्पस में चलाई जा रही है. जनसंपर्क विभाग के अधिकारी एहिबम प्रह्लाद ने यह जानकारी दी.
– भारत एक्सप्रेस
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