सांकेतिक तस्वीर
नाबालिग लड़के का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में 53 वर्षीय मंदिर के पुजारी को तीस हजारी कोर्ट ने 15 साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने इस अपराध को बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ अपराध बताया है. यह मामला 2016 में दिल्ली के पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. तीस हजारी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (पोक्सो) हरलीन सिंह ने गुरुवार को पुजारी के खिलाफ फैसला सुनाया, जिसे पोक्सो अधिनियम व आईपीसी के तहत अन्य संबंधित अपराधों के तहत दोषी ठहराया गया था.
विशेष न्यायाधीश ने आदेश में कहा यह बच्चे के मनोविज्ञान पर एक अमिट छाप छोड़ता है. इसलिए, अदालत को बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों को अत्यंत संवेदनशीलता के साथ निपटाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि दोषी मंदिर का पुजारी है जो नाबालिग लड़के को निशाना बनाकर उसका यौन शोषण करता था. लड़का उक्त मंदिर में नियमित स्वयंसेवक था यह तथ्य अपराध की गंभीरता को बढ़ाता है.
अदालत ने अपराध को गंभीरता से लेते हुए कहा इस तथ्य के बारे में कोई दो राय नहीं है कि किसी बच्चे के साथ किया गया कोई भी यौन अपराध न केवल उसकी गरिमा और निजता के अधिकार में एक गैरकानूनी दखल है, बल्कि यह पूरे समाज के खिलाफ अपराध है. यह बच्चे के मनोविज्ञान पर एक अमिट छाप छोड़ता है.
अदालत ने जुलाई में आरोपी पुजारी को धारा 377 (अप्राकृतिक कृत्य), 506 (आपराधिक धमकी) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था. अभियोजन पक्ष ने पुजारी के लिए अधिकतम सजा की मांग की थी. अदालत ने अलग-अलग अपराधों के लिए 1.10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और पीड़ित को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिश्या है.
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-भारत एक्सप्रेस
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