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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 18 राज्यों के मुख्य सचिव कोर्ट में हुए पेश, जानें क्यों और क्या है मामला

सुप्रीम कोर्ट ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

जजों के बकाया पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान पर द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग के सिफारिशों के अनुपात नही करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 18 राज्यों के मुख्य सचिव कोर्ट में पेश हुए. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि न्यायिक अधिकारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों से जुड़े बकाया के भुगतान पर कोर्ट ने कहा कि जिन राज्यों ने बकाया भुगतान कर दिया, उनके मुख्य सचिव को आगे कोर्ट में पेश होने की जरूरत नही है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि हमें राज्यों के मुख्य सचिवों, वित्त सचिवों को तलब करने में कोई खुशी नही होती है लेकिन जब राज्यों के वकील लगातार अनुपस्थित रहे तब जाकर सचिवों को तलब करना पड़ा. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दिल्ली, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, बिहार, ओडिसा, केरल सहित 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को समन जारी कर पेश होने का आदेश दिया था.

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मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने पूछा कि वे कौन से राज्य हैं जिन्होंने पेंशन की सिफारिशों का अनुपालन किया है? राज्यों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, मेघालय, हिमाचल प्रदेश ने फंड उपलब्ध कराया है. चार सप्ताह के भीतर राज्य द्वारा इसका अनुपालन किया जाएगा. इसके।अलावे कोर्ट ने कहा कि जिन राज्यों ने इसका अनुपालन नही किया है. वो जल्द अनुपालन करें. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि पेंशन से संबंधित कई मामले काफी गंभीर है.

सीजेआई ने कहा था कि जिला अदालतों के रिटायर्ड जजों को सिर्फ 15000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलता है. कोर्ट ने कहा था कि एक मामले में तो एक महिला जज साल में 96000 हजार यानी प्रत्येक माह 8000 रुपये पेंशन मिल रहा है. सीजेआई ने यह भी कहा था कि अब जिला अदालतों के जज पदोन्नति होकर हाई कोर्ट आये है। लेकिन उस समय तक उनकी उम्र 56-57 साल हो चुकी होती है.

इस उम्र में वो आर्बिट्रेशन का मामले में नही ले रहे है और उनको 30000 हजार रुपये पेंशन मिलती है. इसलिए इस मुद्दे पर सरकार को विचार करने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा था कि लंबी सेवा के बाद, वे कैसे सर्वाइव करेंगे? यह उस तरह का सेवा कार्यालय है, जहां आप पूरी तरह से अक्षम हो जाते है. आप अचानक प्रेक्टिस में नही कूद सकते है और 61-62 साल की उम्र में हाई कोर्ट में वकालत शुरू नही कर सकते हैं.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. जिस याचिका पर पूर्व में दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए निर्देश दिए थे. इस बारे में एमिकस क्यूरी के. परमेश्वर से राज्यों से हलफनामों के हवाले से कहा कि विभिन्न राज्य सिफारिशें लागू करने से भारी वित्तीय बोझ का जिक्र कर विरोध कर रहे है. राज्यों का कहना है कि पेंशन में केंद्र सरकार योगदान दे तो वह इसे लागू कर सकते है.

-भारत एक्सप्रेस



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