Bharat Express

दिल्ली हाईकोर्ट ने नशे की हालत में अदालत में पेश होने को आपराधिक अवमानना माना और उसके तहत दी गई सजा को रखा बरकरार

अपील लंबित रहने के दौरान वह पांच महीने एवं 22 दिन की सजा काट चुका था. हाईकोर्ट ने जेल में बिताई गई सजा को ही सजा माना और उसे आगे की सजा नहीं दी.

delhi high court

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने नशे की हालत में अदालत में पेश होने को आपराधिक अवमानना माना और उसके तहत दी गई सजा को बरकरार रखा. नशे में पेश होने वाले वकील को दो साल की सजा दी गई थी. उसने उसके खिलाफ अपील दाखिल की थी. अपील लंबित रहने के दौरान वह पांच महीने एवं 22 दिन की सजा काट चुका था. हाईकोर्ट ने जेल में बिताई गई सजा को ही सजा माना और उसे आगे की सजा नहीं दी.

न्यायमूर्ति प्रतिबा मनिंदर सिंह एवं न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने कहा कि महिला न्यायिक अधिकारी के खिलाफ इस्तेमाल की गई भाषा अदालत का आपराधिक अवमानना है. उसने यह भी कहा कि नशे की हालत में अदालत में पेश होना अक्षम्य नहीं है और यह अवमानना है. वकील ट्रैफिक चलान के मामले में नशे में धुत होकर निचली अदालत में पेश हुआ था.

पीठ ने कहा कि इस अदालत को वकील को आपराधिक अवमानना का दोषी मानने में कोई संदेह नहीं है. उसने यह कहते हुए वकील के खिलाफ वर्ष 2015 में शुरू की गई आपराधिक अवमानना याचिका का निपटारा कर दिया. कोर्ट ने कहा कि दोषी वकील ने अदालत में गंदी और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया. महिला न्यायाधीश ने उसे अदालत से बाहर जाने को कहा था, क्योंकि उसे नशे की हालत में होने की गंध आ रही थी.

न्यायाधीश की शिकायत पर वकील को 2019 में आईपीसी की धारा 186, 189, 228, 509 और 353 के तहत दोषी ठहराया गया था. बाद में उसे धारा 188 और 354 ए के तहत बरी कर दिया गया था. उसे कुल दो साल की सजा सुनाई गई थी. अपील लंबित होने के दौरान सजा को निलंबित कर दिया गया था. वकील ने कुल पांच महीने और 22 दिन की सजा काटी थी.

ये भी पढ़ें- दिल्ली हाईकोर्ट ने अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग की मांग वाली याचिका खारिज की

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read