प्रतीकात्मक चित्र
भारत देश के आर्थिक परिदृश्य में लघु उद्योगों (Small Industries) ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. स्वतंत्रता से भी पहले लघु उद्योग भारत की पहचान रही है. यह उद्योग आजादी के पहले से ‘आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक रहा है.
राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस हर साल ’30 अगस्त’ को लघु उद्योगों को बढ़ावा देने और बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मनाया जाता है. भारत एक विकासशील देश है, और आर्थिक रूप में जमीनी स्तर पर मजबूती के लिए लघु उद्योग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. सरकार ने समय-समय पर इन उद्योगों के लिए कई लाभदायक योजनाएं लागू की, जिसे लोगों का झुकाव इसकी ओर बना रहे.
क्या है लघु उद्योग?
आसान शब्दों में समझे तो वे उद्योग, जो छोटे पैमाने पर किए जाते हैं तथा सामान्य रूप में चलाए जाते हैं. जिनमें 10 से 50 लोग मजदूरी के बदले में काम करते हों, लघु उद्योग के अंतर्गत आते हैं. यह दिन भारत के विकास, रोजगार पैदा करना और मार्केट में कुछ नया और अलग लाना, इन तमाम पहलुओं में छोटे उद्योगों के योगदान पर प्रकाश डालता है, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में उनकी स्थिति को बड़ी पहचान देता है.
राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस की शुरुआत और उद्देश्य
राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस की शुरुआत 2001 में हुई थी. इस साल भारत सरकार की ओर से लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए व्यापक नीतिगत बदलाव की शुरुआत की गई थी. इस दिन का महत्व देश में बढ़ रही बेरोजगारी को कम करना और युवाओं को लघु उद्योगों के बारे में जागरूक करना है. ताकि आगे चलकर लोग लघु उद्योग के महत्व को समझ सके और इसके विकास में अपना योगदान दे सकें.
राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस का महत्त्व
एक विकासशील राष्ट्र के रूप में, लघु उद्योग देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि सरकारी नीतियों के माध्यम से इस क्षेत्र को मजबूत किया जाए. ये उद्योग आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं क्योंकि वे रोजगार पैदा करते हैं, नवाचार और स्थानीय विकास को बढ़ावा देते हैं.
रोजगार के अवसर प्रदान करके, वे संभावित रूप से गरीबी को कम करने और आय के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, उपभोक्ता खर्च और मांग को प्रोत्साहित कर सकते हैं. ये उद्योग इसके आधार में विविधता लाकर और उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को भी बढ़ाते हैं, जिससे स्थायी विकास और आर्थिक स्थिरता हो सकती है. इसके अतिरिक्त, वे समावेशी विकास को बढ़ावा देकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटने में भी मदद कर सकते हैं.
Small Industries create employment opportunities, contribute to the GDP, empower local artisans and help conserve our heritage. To recognise their contribution to India’s economy, August 30 was declared as National Small Industry Day on August 30, 2000 with the purpose of raising… pic.twitter.com/JlcRwpqBwd
— Hindustan Petroleum Corporation Limited (@HPCL) August 30, 2024
लघु उद्योगों के प्रसार में राज्यवार स्थिति
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) के विकास आयुक्त की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के अनुसार वर्तमान में देश में 1,05,21,190 लघु उद्योग इकाइयां कार्यरत है. इनमें करीबन 55 फीसदी यूनिट ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि लघु उद्योगों के राज्यवार प्रसार में उत्तर प्रदेश (16.23%) सबसे आगे है. जबकि आंध्र प्रदेश (8.32%), महाराष्ट्र (7.64%) मध्य प्रदेश (7.54%) और तमिलनाडु (7.49%) जैसे राज्य में भी इसका प्रसार तेजी से हुआ है, जिनकी इकाइयों की संख्या के संदर्भ में कुल हिस्सेदारी 47.22 फीसदी थी.
-भारत एक्सप्रेस
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