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संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलीं प्रसिद्ध अभिनेत्री Meryl Streep, कहा- अफगानिस्तान में बिल्लियों के पास महिलाओं से अधिक आजादी

मेरिल स्ट्रीप ने तालिबान के शासन के तहत महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना की और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होकर इस मुद्दे पर कार्रवाई करने की अपील की.

मेरिल स्ट्रीप

संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान आयोजित एक चर्चा में प्रसिद्ध अभिनेत्री मेरिल स्ट्रीप ने अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के तहत महिलाओं की मौजूदा स्थिति की तुलना जानवरों से करते हुए कहा, “आज अफगानिस्तान में एक गिलहरी के पास लड़की से ज्यादा अधिकार हैं.”

महिलाओं के अधिकारों पर कठोर प्रतिबंध

स्ट्रीप ने अपनी बात को विस्तार से समझाते हुए कहा, “आज काबुल में एक बिल्ली के पास एक महिला से ज्यादा आजादी है. एक बिल्ली धूप में बैठ सकती है, पार्क में जा सकती है, लेकिन महिलाएं और लड़कियां यह साधारण आजादी भी नहीं पा सकतीं.” उन्होंने अफगानिस्तान में सार्वजनिक पार्कों को महिलाओं और लड़कियों के लिए बंद किए जाने की आलोचना की, जिससे उनका अधिकार और स्वतंत्रता और भी सीमित हो गया है.

तालिबान शासन के कठोर नियम

स्ट्रीप ने अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा महिलाओं पर लगाए गए कड़े प्रतिबंधों पर भी प्रकाश डाला. अगस्त 2021 में जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाया, उसके बाद तालिबान ने महिलाओं के अधिकारों को सीमित करने वाले कई नियम लागू किए. इनमें लड़कियों की शिक्षा पर रोक प्रमुख था, जहां छठी कक्षा से ऊपर की लड़कियों को स्कूल जाने से प्रतिबंधित कर दिया गया. हालाँकि, प्रारंभिक दौर में तालिबान ने इन नियमों को अस्थायी बताया था और शहरी क्षेत्रों में इनका पूरी तरह से पालन नहीं हुआ था.

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अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से की अपील

मेरिल स्ट्रीप ने अफगानिस्तान की महिलाओं की गंभीर स्थिति पर जोर देते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होकर इस मुद्दे पर कार्रवाई करने की अपील की. उन्होंने कहा, “काबुल में एक पक्षी गा सकता है, लेकिन एक लड़की नहीं गा सकती है. अगर वैश्विक समुदाय एकजुट होकर कदम उठाए, तो अफगानिस्तान में बदलाव लाया जा सकता है और आधी आबादी की हो रही इस धीमी घुटन को रोका जा सकता है.”

तालिबान का बचाव और पुरुषों पर नए प्रतिबंध

महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों की विश्वव्यापी आलोचना के बावजूद, तालिबान ने इन कानूनों को आंशिक रूप से महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया है. उन्होंने हाल ही में पुरुषों पर भी सख्ती बरतनी शुरू कर दी है, जिसमें नैतिकता पुलिस (Morality Police) मस्जिदों का दौरा कर रही है और उन पुरुषों की जांच कर रही है जिन्होंने दाढ़ी नहीं बढ़ाई है.

यह ध्यान देने योग्य है कि तालिबान के सत्ता में आने से बहुत पहले, अफगानिस्तान ने 1919 में महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया था, जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका से भी एक साल पहले था.

-भारत एक्सप्रेस

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