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2020 दिल्ली दंगा मामले में अदालत ने पिता-पुत्र को किया बरी, फातिमा मस्जिद में आग लगाने का आरोप गलत था

मोहम्मद मुनाजिर नाम के शख्‍स की शिकायत पर दिल्‍ली निवासी मिट्ठन सिंह और जोनी कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. उसने इन पर मस्जिद और अपने घर में आग लगाने का आरोप लगाया था.

karkardooma court

कड़कड़डूमा कोर्ट

Delhi News: कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान एक मस्जिद और आस-पास के घरों में आग लगाने के आरोपी पिता-पुत्र को बरी कर दिया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने संदेह का लाभ देते हुए मिट्ठन सिंह और जोनी कुमार को बरी कर दिया.

बता दें कि मिट्ठन सिंह और जोनी कुमार के खिलाफ मोहम्मद मुनाजिर नामक व्यक्ति की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी. मुनाजिर ने आरोप लगाया था कि फातिमा मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद घर लौटते समय उसने अपनी गली में भीड़ देखी. उसने आरोप लगाया कि पहले दंगाइयों ने फातिमा मस्जिद के शीशे तोड़कर उसमें आग लगा दी और फिर आस-पास के घरों में आग लगा दी.

मोहम्मद मुनाजिर ने यह आरोप भी लगाया कि उसके घर पर पथराव किया जा रहा था, गोलियां चलने की आवाजें आ रही थीं और गैस सिलेंडर फेंके जा रहे थे. इसके अलावा यह आरोप भी लगाया कि उनका घर पूरी तरह से जला दिया गया और उनके घर से सोने के गहने और 1,50,000 रुपये नकद लूट लिए गए.

मिट्ठन सिंह और जोनी कुमार निर्दोष मिले

मोहम्मद मुनाजिर की शिकायत के आधार पर 20 दिसंबर, 2021 को पिता-पुत्र (मिट्ठन सिंह और जोनी कुमार) के खिलाफ धारा 147, 148, 392, 436 और 149 के तहत आरोप तय किए गए थे. हालांकि, तब भी दोनों ने खुद को निर्दोष बताया था और मुकदमे का दावा किया था. अब अदालत ने दोनों को बरी करते हुए पाया कि सभी पीड़ित या सार्वजनिक गवाह दोनों आरोपियों की पहचान के बिंदु पर अभियोजन पक्ष के मामले से मुकर गए थे.

सार्वजनिक गवाह दोनों की पहचान करने से मुकरे

अदालत ने कहा कि उन सभी ने दंगाइयों के बीच दोनों आरोपियों को देखने से इनकार किया. न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाह रहे दो पुलिस अधिकारियों का बयान, जिन्होंने मामले में जांच की गई घटनाओं के दौरान दोनों आरोपियों की पहचान करने के लिए आरोपियों की मौजूदगी स्थापित की, बाद में यानी 09 मार्च, 2020 को एक असामान्य घटनाक्रम के रूप में दिखाई दिया.

अदालत ने कहा कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि उनके ऐसे बयान दोनों आरोपियों के खिलाफ पूर्व-निर्धारित मानसिकता के साथ दिए गए थे या तैयार किए गए थे जो पहले से ही 5 मार्च 2020 से पुलिस हिरासत में थे.

– भारत एक्‍सप्रेस

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