सीएम हेमंत सोरेन. (फाइल फोटो)
झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों के मामले में झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. याचिका में जल्द सुनवाई की मांग को लेकर 3 अक्टूबर को सीजेआई के समक्ष मेंशनिंग की जाएगी. झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती दी है, जिसमें घुसपैठ की जांच के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने और अधिकारियों के नाम तय कर बताने का निर्देश दिया गया है. हालांकि संथाल के 6 जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ से वहां के डीसी ने इनकार कर दिया है.
डीसी द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल शपथ पत्र याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज कराई थी. हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा था कि अगले कुछ महीने में झारखंड में विधानसभा का चुनाव होने वाला है. जिसमें इस मुद्दे का इस्तेमाल पॉलिटिकल एजेंडे के रूप में किया जा रहा है. सिब्बल ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार ने इस मामले में जो शपथ पत्र दाखिल किया है, उसमें झारखंड में बंग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश के संबंध में कोई डाटा नहीं है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी एक मामला लंबित है.
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बन जाती है, तो क्या दिक्कत है? तुषार मेहता ने कहा था कि केंद्र ने अंतिम जनगणना के आधार पर जो डाटा पेश किया है, उससे साफ है कि संथाल परगना में आदिवासियों की संख्या में कमी आई है.
बता दें कि दानियाल दानिश ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि संथाल में ट्राइबल की आबादी 42 फीसदी सेघटकर 28 फीसदी हो गई है. पाकुड़ एवं साहिबगंज में वर्ष 2011 तक मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 35 फीसदी बढ़ गई है. वहीं, पूरे संथाल परगना में मुस्लिम समुदाय की आबादी वर्ष 2011 तक 13 फीसदी बढ़ गई थी.
याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय जनगणना के हवाले से हाईकोर्ट के समक्ष जो डाटा पेश किया है, उसके मुताबिक साल 1951 में संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी आबादी 44.67 प्रतिशत से घटाकर साल 2011 में 28.11 प्रतिशत हो गई है. इसके पीछे की एक बड़ी वजह बंग्लादेशी घुसपैठ है. अगर इस सिलसिले पर रोक नहीं लगाई गई तो स्थिति गंभीर हो जाएगी.
बता दें कि 2022 में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर की थी. जिसपर कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था.
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-भारत एक्सप्रेस
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