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बिहार: पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दो आरोपियों के आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी, 6 अन्य बरी

साल 1998 में बृज बिहारी प्रसाद बिहार की राबड़ी देवी सरकार में मंत्री थे. उन्हें एडमिशन घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था. इस बीच तबीयत बिगड़ने पर वह अस्पताल में भर्ती थे, जब उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

Brij Bihari Prasad Murder Case

बिहार के पूर्व विज्ञान एवं प्राद्यौगिकी मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने दोनों को 15 दिन के भीतर सरेंडर करने को कहा है. वहीं कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरज भान सिंह, राजन तिवारी सहित 6 लोगों को बरी कर दिया है. जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर माधवन की पीठ ने यह फैसला सुनाया है.

कोर्ट ने बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी एवं पूर्व भाजपा सांसद रमा देवी और सीबीआई की अपील पर सभी पक्षों की जिरह के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी सहित कुल 8 आरोपियों को सबूत के आभाव में बरी कर दिया था. मामले की सुनवाई के दौरान रमा देवी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने दलील देते हुए कहा था कि पटना हाईकोर्ट ने मामले में आरोपियों को बरी करने में गलती की है.

राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौपी थी. वही केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर की दलील थी कि आरोपियों के बीच साजिश को उजागर करने के लिए पटना जिले के मोकामा शहर में सूरजभान सिंह के आवास पर लगे टेलीफोन से मामले के अन्य आरोपियों से बातचीत हुई थी. पूर्व मंत्री की हत्या वर्ष 1998 में उस समय कर दी गई थी जब वे आईजीआइएमएस में ईलाज के लिए भर्ती थे. निचली अदालत ने वर्ष 2009 में सभी आठ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

बता दें कि 90 के दशक में बृज बिहारी प्रसाद की एंट्री कॉलेज के दौर में हुई. राजनीतिक दिलचस्पी के चलते वो आगे चलकर मंत्री बने थे. हालांकि शुरुआती दिनों में दलितों और पिछड़ों के राजनीति के चलते बृज बिहारी प्रसाद के कई दुश्मन बन गए थे. जिनमें छोटन शुक्ला का नाम शामिल था. 1994 में छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई, जिसका आरोप बृज बिहारी प्रसाद पर लगा था.

1998 में बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी सरकार में मंत्री थे. लेकिन वो एडमिशन घोटाला मामले में गिरफ्तार हो गए. गिरफ्तारी के बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की जिसके बाद उनको इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती किया गया. जब वो सुरक्षा के बीच टहल रहे थे उसी दौरान एक लाल बत्ती कार आई जिसमें चार लोग सवार थे और बृज बिहारी को एके-47 से छलनी कर फरार हो गए.


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-भारत एक्सप्रेस

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